07 Jun
पादप ऊतक बायोलॉजी फ्लैश कार्ड
प्रश्न: वह उत्तक जो द्वितीयक वृद्धि के लिए उत्तरदायी है –
उत्तर: कैम्बियम
🔍 व्याख्या:
द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) का अर्थ है पौधों में तने और जड़ों की मोटाई (मात्रा में वृद्धि)। यह वृद्धि प्राथमिक वृद्धि (लंबाई में वृद्धि) से अलग होती है।
कैम्बियम एक मेरिस्टेमेटिक उत्तक (Meristematic tissue) है, जो लगातार कोशिका विभाजन करता है। यह vascular cambium कहलाता है और जाइलम तथा फ्लोएम के बीच स्थित होता है।
यह नया जाइलम और फ्लोएम बनाता है, जिससे तना मोटा होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
➡️ निष्कर्ष: द्वितीयक वृद्धि के लिए मुख्य रूप से कैम्बियम उत्तरदायी होता है।
द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) का अर्थ है पौधों में तने और जड़ों की मोटाई (मात्रा में वृद्धि)। यह वृद्धि प्राथमिक वृद्धि (लंबाई में वृद्धि) से अलग होती है।
कैम्बियम एक मेरिस्टेमेटिक उत्तक (Meristematic tissue) है, जो लगातार कोशिका विभाजन करता है। यह vascular cambium कहलाता है और जाइलम तथा फ्लोएम के बीच स्थित होता है।
यह नया जाइलम और फ्लोएम बनाता है, जिससे तना मोटा होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
जाइलम | यह जल का परिवहन करता है, परंतु वृद्धि में भाग नहीं लेता। |
फ्लोएम | यह भोजन (शर्करा) का परिवहन करता है। |
कार्टेक्स | यह संरचना को सहारा देता है, लेकिन द्वितीयक वृद्धि में भाग नहीं लेता। |
➡️ निष्कर्ष: द्वितीयक वृद्धि के लिए मुख्य रूप से कैम्बियम उत्तरदायी होता है।
प्रश्न: व्यापारिक कॉर्क प्राप्त होती है ?
उत्तर: कॉर्क कैम्बियम से
🔍 व्याख्या:
व्यापारिक कॉर्क वह मोटा, हल्का, और जलरोधी पदार्थ है जो पेड़ों की बाहरी परत से प्राप्त होता है। इसका उपयोग बोतल की ढक्कन, इन्सुलेशन सामग्री, बोर्ड आदि बनाने में किया जाता है।
कॉर्क कैम्बियम (Cork Cambium) को फेलोजेन (Phellogen) भी कहते हैं। यह एक द्वितीयक मेरिस्टेमेटिक उत्तक है, जो तने या जड़ की बाहरी परत में सक्रिय होता है।
यह बाहरी ओर कॉर्क (Phellem) और भीतर की ओर फेलोडर्म (Phelloderm) बनाता है।
👉 कॉर्क = कॉर्क कैम्बियम द्वारा बनाई गई मृत कोशिकाएं जो बाहर की ओर जमती हैं।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
✅ निष्कर्ष: व्यापारिक कॉर्क ‘कॉर्क कैम्बियम’ (फेलोजेन) से प्राप्त होती है।
व्यापारिक कॉर्क वह मोटा, हल्का, और जलरोधी पदार्थ है जो पेड़ों की बाहरी परत से प्राप्त होता है। इसका उपयोग बोतल की ढक्कन, इन्सुलेशन सामग्री, बोर्ड आदि बनाने में किया जाता है।
कॉर्क कैम्बियम (Cork Cambium) को फेलोजेन (Phellogen) भी कहते हैं। यह एक द्वितीयक मेरिस्टेमेटिक उत्तक है, जो तने या जड़ की बाहरी परत में सक्रिय होता है।
यह बाहरी ओर कॉर्क (Phellem) और भीतर की ओर फेलोडर्म (Phelloderm) बनाता है।
👉 कॉर्क = कॉर्क कैम्बियम द्वारा बनाई गई मृत कोशिकाएं जो बाहर की ओर जमती हैं।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
जाइलम | यह जल परिवहन करता है, कॉर्क नहीं बनाता। |
फ्लोएम | यह भोजन का परिवहन करता है, कॉर्क नहीं बनाता। |
संवहन कैम्बियम | यह द्वितीयक जाइलम व फ्लोएम बनाता है, कॉर्क नहीं। |
✅ निष्कर्ष: व्यापारिक कॉर्क ‘कॉर्क कैम्बियम’ (फेलोजेन) से प्राप्त होती है।
प्रश्न: पौधों में ‘फ्लोएम’ मुख्यत: उत्तरदायी है –
उत्तर: आहार वहन के लिए
🔍 व्याख्या:
फ्लोएम (Phloem) एक संवहन उत्तक (conductive tissue) है, जो पौधों में भोजन (आहार) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करता है।
🌿 फ्लोएम क्या वहन करता है?
• मुख्य रूप से शर्करा (Sugars) — जैसे सूक्रोज (Sucrose)
• यह शर्करा पत्तियों (जहाँ प्रकाश संश्लेषण होता है) से अन्य भागों (जड़, फल, फूल, बीज आदि) तक पहुँचाई जाती है।
• इस प्रक्रिया को Translocation कहा जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
फ्लोएम का मुख्य कार्य है – आहार (भोजन) का वहन करना।
इसलिए सही उत्तर है – आहार वहन के लिए। ✅
फ्लोएम (Phloem) एक संवहन उत्तक (conductive tissue) है, जो पौधों में भोजन (आहार) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करता है।
🌿 फ्लोएम क्या वहन करता है?
• मुख्य रूप से शर्करा (Sugars) — जैसे सूक्रोज (Sucrose)
• यह शर्करा पत्तियों (जहाँ प्रकाश संश्लेषण होता है) से अन्य भागों (जड़, फल, फूल, बीज आदि) तक पहुँचाई जाती है।
• इस प्रक्रिया को Translocation कहा जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
अमीनो अम्ल वहन के लिए | फ्लोएम कुछ अमीनो अम्ल भी वहन करता है, लेकिन मुख्य कार्य शर्करा (आहार) का वहन है। |
ऑक्सीजन वहन के लिए | पौधे ऑक्सीजन का परिवहन वायुसंचरण (Diffusion) से करते हैं, न कि फ्लोएम से। |
जल वहन के लिए | जाइलम (Xylem) जल का वहन करता है, न कि फ्लोएम। |
📘 निष्कर्ष:
फ्लोएम का मुख्य कार्य है – आहार (भोजन) का वहन करना।
इसलिए सही उत्तर है – आहार वहन के लिए। ✅
प्रश्न: पेड़-पौधों में ‘जाइलम’ मुख्यत: जिम्मेवार है –
उत्तर: जल-वहन के लिए
🔍 व्याख्या:
जाइलम (Xylem) एक संवहन उत्तक (vascular tissue) है जो पौधों में मिट्टी से जड़ों द्वारा अवशोषित जल और खनिजों को ऊपर की ओर (जड़ से पत्तियों तक) ले जाने का कार्य करता है।
🌱 जाइलम की विशेषताएँ:
• जल का वहन एक ही दिशा में होता है (नीचे से ऊपर)।
• यह प्रक्रिया Transpiration pull, capillary action, और root pressure जैसी शक्तियों से होती है।
• जाइलम में मुख्य कोशिकाएँ होती हैं – ट्रैकेइड्स (tracheids) और वाहिकाएँ (vessels)।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
जाइलम पौधों में मुख्यतः जल और खनिजों के वहन के लिए जिम्मेदार होता है।
इसलिए सही उत्तर है – जल-वहन के लिए ✅
जाइलम (Xylem) एक संवहन उत्तक (vascular tissue) है जो पौधों में मिट्टी से जड़ों द्वारा अवशोषित जल और खनिजों को ऊपर की ओर (जड़ से पत्तियों तक) ले जाने का कार्य करता है।
🌱 जाइलम की विशेषताएँ:
• जल का वहन एक ही दिशा में होता है (नीचे से ऊपर)।
• यह प्रक्रिया Transpiration pull, capillary action, और root pressure जैसी शक्तियों से होती है।
• जाइलम में मुख्य कोशिकाएँ होती हैं – ट्रैकेइड्स (tracheids) और वाहिकाएँ (vessels)।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
आहार-वहन के लिए | यह कार्य फ्लोएम का है। |
अमीनो एसिड वहन के लिए | यह भी फ्लोएम द्वारा कुछ हद तक होता है, जाइलम से नहीं। |
ऑक्सीजन वहन के लिए | पौधे ऑक्सीजन का वहन सामान्य वायुसंचरण द्वारा करते हैं, न कि जाइलम से। |
📘 निष्कर्ष:
जाइलम पौधों में मुख्यतः जल और खनिजों के वहन के लिए जिम्मेदार होता है।
इसलिए सही उत्तर है – जल-वहन के लिए ✅
प्रश्न: एक वृक्ष की आयु का पता किसके द्वारा लगाया जा सकता है ?
उत्तर: वार्षिक वलयों की गिनती करके
🔍 व्याख्या:
जब हम किसी वृक्ष का तना काटते हैं, तो उसमें केंद्र से बाहर की ओर गोल-गोल रिंग्स दिखाई देती हैं, जिन्हें वार्षिक वलय (Annual Rings) कहते हैं।
• प्रत्येक एक रिंग = एक वर्ष की वृद्धि को दर्शाता है।
• ये रिंग्स कैम्बियम द्वारा हर साल बनाए जाते हैं – एक ग्रीष्मकालीन और एक शीतकालीन वृद्धि वाला भाग मिलकर एक वलय बनाते हैं।
• इसलिए वलयों की गिनती करके वृक्ष की वास्तविक आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
एक वृक्ष की आयु का सबसे सटीक और वैज्ञानिक तरीका है – उसके तने में मौजूद वार्षिक वलयों की गिनती करना।
इसलिए सही उत्तर है – वार्षिक वलयों की गिनती करके ✅
जब हम किसी वृक्ष का तना काटते हैं, तो उसमें केंद्र से बाहर की ओर गोल-गोल रिंग्स दिखाई देती हैं, जिन्हें वार्षिक वलय (Annual Rings) कहते हैं।
• प्रत्येक एक रिंग = एक वर्ष की वृद्धि को दर्शाता है।
• ये रिंग्स कैम्बियम द्वारा हर साल बनाए जाते हैं – एक ग्रीष्मकालीन और एक शीतकालीन वृद्धि वाला भाग मिलकर एक वलय बनाते हैं।
• इसलिए वलयों की गिनती करके वृक्ष की वास्तविक आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
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ऊँचाई माप कर | ऊँचाई कई कारकों पर निर्भर करती है (प्रजाति, पर्यावरण), इससे सही आयु नहीं जानी जा सकती। |
शाखाओं की संख्या गिन कर | शाखाएँ टूट भी सकती हैं और उनकी संख्या निश्चित नहीं होती। |
आयु मापने का कोई तरीका नहीं है | यह गलत है, वार्षिक वलय एक वैज्ञानिक और विश्वसनीय तरीका है। |
📘 निष्कर्ष:
एक वृक्ष की आयु का सबसे सटीक और वैज्ञानिक तरीका है – उसके तने में मौजूद वार्षिक वलयों की गिनती करना।
इसलिए सही उत्तर है – वार्षिक वलयों की गिनती करके ✅
प्रश्न: बायुतक (Aerenchyma) पाया जाता है ?
उत्तर: हाइड्रोफाइट्स में
🔍 व्याख्या:
बायुतक (Aerenchyma) एक विशेष प्रकार का संवहनी पारेंकाइमा ऊतक होता है जिसमें बड़े-बड़े वायु अंतराल (air spaces) होते हैं।
🌿 यह मुख्य रूप से हाइड्रोफाइट्स (जल में रहने वाले पौधे) में पाया जाता है।
Aerenchyma के कार्य:
• पौधे को पानी में तैरने (buoyancy) में मदद करता है।
• ऑक्सीजन का संचरण जड़ों तक करता है, जो जलमग्न मिट्टी में होती हैं।
• पौधे को कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रहने में सहायता करता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
बायुतक (Aerenchyma) केवल हाइड्रोफाइट्स यानी जल में उगने वाले पौधों में पाया जाता है, जिससे उन्हें तैरने और ऑक्सीजन लेने में मदद मिलती है।
इसलिए सही उत्तर है – हाइड्रोफाइट्स में ✅
बायुतक (Aerenchyma) एक विशेष प्रकार का संवहनी पारेंकाइमा ऊतक होता है जिसमें बड़े-बड़े वायु अंतराल (air spaces) होते हैं।
🌿 यह मुख्य रूप से हाइड्रोफाइट्स (जल में रहने वाले पौधे) में पाया जाता है।
Aerenchyma के कार्य:
• पौधे को पानी में तैरने (buoyancy) में मदद करता है।
• ऑक्सीजन का संचरण जड़ों तक करता है, जो जलमग्न मिट्टी में होती हैं।
• पौधे को कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रहने में सहायता करता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
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लिथोफाइट्स | जो चट्टानों पर उगते हैं, इनमें बायुतक की जरूरत नहीं होती। |
जीरोफाइट्स | ये शुष्क क्षेत्रों के पौधे होते हैं, इनमें जल-संरक्षण के लिए विशेष ऊतक होते हैं, न कि बायुतक। |
मीसोफाइट्स | सामान्य परिस्थितियों में उगने वाले पौधे होते हैं, इनमें बायुतक नहीं होता। |
📘 निष्कर्ष:
बायुतक (Aerenchyma) केवल हाइड्रोफाइट्स यानी जल में उगने वाले पौधों में पाया जाता है, जिससे उन्हें तैरने और ऑक्सीजन लेने में मदद मिलती है।
इसलिए सही उत्तर है – हाइड्रोफाइट्स में ✅
प्रश्न: आर्किड (Orchid) में विलामेन उत्तक पाया जाता है ?
उत्तर: मूलों में
🔍 व्याख्या:
विलामेन उत्तक (Velamen Tissue) एक विशेष प्रकार का मृत बहिस्त्वचा (dead epidermal tissue) होता है, जो आर्किड जैसे एपिफाइटिक पौधों की जड़ों में पाया जाता है।
🌱 Velamen के कार्य:
• वायुमंडल से नमी (जलवाष्प) को सोखता है।
• जड़ों को सुरक्षा प्रदान करता है।
• जल का अवशोषण वातावरण से करता है, विशेषकर जब पौधा मिट्टी में न होकर पेड़ों की शाखाओं पर उगता है (जैसे कि ऑर्किड)।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
आर्किड में विलामेन उत्तक केवल मूलों (Roots) में पाया जाता है, और यह वायुमंडलीय नमी को अवशोषित करने में सहायक होता है।
इसलिए सही उत्तर है – मूलों में ✅
विलामेन उत्तक (Velamen Tissue) एक विशेष प्रकार का मृत बहिस्त्वचा (dead epidermal tissue) होता है, जो आर्किड जैसे एपिफाइटिक पौधों की जड़ों में पाया जाता है।
🌱 Velamen के कार्य:
• वायुमंडल से नमी (जलवाष्प) को सोखता है।
• जड़ों को सुरक्षा प्रदान करता है।
• जल का अवशोषण वातावरण से करता है, विशेषकर जब पौधा मिट्टी में न होकर पेड़ों की शाखाओं पर उगता है (जैसे कि ऑर्किड)।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
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प्ररोहों में | नहीं, विलामेन केवल जड़ों में होता है। |
पत्तियों में | पत्तियों में यह उत्तक नहीं पाया जाता। |
पुष्पों में | पुष्प संरचना में विलामेन नहीं होता। |
📘 निष्कर्ष:
आर्किड में विलामेन उत्तक केवल मूलों (Roots) में पाया जाता है, और यह वायुमंडलीय नमी को अवशोषित करने में सहायक होता है।
इसलिए सही उत्तर है – मूलों में ✅
प्रश्न: समुद्र के किनारे उगने वाले वृक्षों में वार्षिक वलय नहीं होते हैं, क्योंकि –
उत्तर: स्पष्ट जलवायवीय विभिन्नता नहीं होती है
🔍 व्याख्या:
वार्षिक वलय (Annual Rings) वृक्षों के तने में बनने वाली सालाना वृद्धि की परतें होती हैं, जो तब बनती हैं जब जलवायु में मौसम के अनुसार स्पष्ट बदलाव होता है – जैसे गर्मी और सर्दी।
🌊 लेकिन:
• समुद्र के किनारे (Coastal Areas) में तापमान और नमी लगभग पूरे वर्ष समान रहती है।
• वहाँ पर ग्रीष्म और शीत ऋतु जैसी स्पष्ट जलवायवीय विभिन्नता नहीं होती।
• इसलिए वृक्षों की वृद्धि लगातार और बिना रुकावट होती है, जिससे वार्षिक वलय नहीं बनते या स्पष्ट नहीं होते।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
📘 निष्कर्ष:
समुद्र के किनारे उगने वाले वृक्षों में वार्षिक वलय नहीं होते क्योंकि वहाँ जलवायु में स्पष्ट विभिन्नता नहीं होती।
इसलिए सही उत्तर है – स्पष्ट जलवायवीय विभिन्नता नहीं होती है ✅
वार्षिक वलय (Annual Rings) वृक्षों के तने में बनने वाली सालाना वृद्धि की परतें होती हैं, जो तब बनती हैं जब जलवायु में मौसम के अनुसार स्पष्ट बदलाव होता है – जैसे गर्मी और सर्दी।
🌊 लेकिन:
• समुद्र के किनारे (Coastal Areas) में तापमान और नमी लगभग पूरे वर्ष समान रहती है।
• वहाँ पर ग्रीष्म और शीत ऋतु जैसी स्पष्ट जलवायवीय विभिन्नता नहीं होती।
• इसलिए वृक्षों की वृद्धि लगातार और बिना रुकावट होती है, जिससे वार्षिक वलय नहीं बनते या स्पष्ट नहीं होते।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
भूमि बलुई होती है | भूमि का प्रकार वलयों के निर्माण में मुख्य कारण नहीं है। |
जलवायवीय विभिन्नता होती है | गलत, समुद्र के किनारे विविधता नहीं होती। |
वायुमण्डल में प्रचूर नमी होती है | यह सहायक कारण हो सकता है, परंतु मुख्य कारण नहीं। |
📘 निष्कर्ष:
समुद्र के किनारे उगने वाले वृक्षों में वार्षिक वलय नहीं होते क्योंकि वहाँ जलवायु में स्पष्ट विभिन्नता नहीं होती।
इसलिए सही उत्तर है – स्पष्ट जलवायवीय विभिन्नता नहीं होती है ✅
प्रश्न: एक वृक्ष के पुराने तने की अनुप्रस्थ काट में 50 वार्षिक वलय मिलते हैं | वृक्ष की आयु होगी –
उत्तर: 50 वर्ष
✅ सही उत्तर: C. 50 वर्ष
🔍 व्याख्या:
• वार्षिक वलय (Annual Rings) वृक्ष के तने में हर वर्ष बनने वाली वृद्धि परतें होती हैं।
• प्रत्येक 1 वलय = 1 वर्ष की वृद्धि दर्शाता है।
• हर वलय दो भागों से मिलकर बनता है:
◦ हल्का भाग – ग्रीष्मकालीन वृद्धि (Early wood)
◦ गहरा भाग – शीतकालीन वृद्धि (Late wood)
• इसलिए 50 वलय = 50 वर्ष की आयु होती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
🧠 निष्कर्ष:
वृक्ष में जितने वार्षिक वलय पाए जाते हैं, वह उसकी आयु होती है।
इसलिए सही उत्तर है – 50 वर्ष ✅
🔍 व्याख्या:
• वार्षिक वलय (Annual Rings) वृक्ष के तने में हर वर्ष बनने वाली वृद्धि परतें होती हैं।
• प्रत्येक 1 वलय = 1 वर्ष की वृद्धि दर्शाता है।
• हर वलय दो भागों से मिलकर बनता है:
◦ हल्का भाग – ग्रीष्मकालीन वृद्धि (Early wood)
◦ गहरा भाग – शीतकालीन वृद्धि (Late wood)
• इसलिए 50 वलय = 50 वर्ष की आयु होती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
विकल्प | विश्लेषण |
---|---|
25 वर्ष | गलत, क्योंकि 1 वलय = 1 वर्ष होता है, 25 नहीं। |
49 वर्ष | गलत, 50 वलय हैं तो आयु 49 नहीं हो सकती। |
100 वर्ष | गलत, यदि 100 वलय होते तब 100 वर्ष होता। |
🧠 निष्कर्ष:
वृक्ष में जितने वार्षिक वलय पाए जाते हैं, वह उसकी आयु होती है।
इसलिए सही उत्तर है – 50 वर्ष ✅
प्रश्न: यदि सन 1985 में एक वृक्ष में एक साइनबोर्ड की कील भूमि से पाँच फीट की ऊंचाई पर लगाई गई | सन 1998 में यह कील कितनी ऊँची होगी, यदि वृक्ष प्रतिवर्ष 4 इंच लम्बाई में बढ़ता है?
उत्तर: पाँच फीट
✅ सही उत्तर: A. पाँच फीट
🔍 व्याख्या:
यह सवाल अक्सर बच्चों को भ्रमित करने के लिए पूछा जाता है। लेकिन असल में:
• पेड़ की ऊँचाई ऊपर की ओर बढ़ती है, यानी नई वृद्धि शिखर (top) पर होती है।
• नीचे की पुरानी लकड़ी (trunk) और उसकी ऊंचाई स्थिर रहती है – यानी वहाँ लगी कोई कील या बोर्ड उसी ऊँचाई पर बना रहता है।
🌳 स्थिति:
• कील लगी: सन 1985 में
• पूछी गई स्थिति: सन 1998 में
• अंतर: 13 वर्ष
• वृद्धि दर: 4 इंच प्रति वर्ष, लेकिन यह ऊपर की ओर बढ़ती है, कील की ऊँचाई नहीं बदलती।
🧠 निष्कर्ष:
वृक्ष में लगी कील की ऊंचाई कभी नहीं बदलती, चाहे वृक्ष कितना भी ऊँचा हो जाए।
इसलिए कील अब भी 5 फीट की ऊँचाई पर ही होगी। ✅ सही उत्तर: A. पाँच फीट
🔍 व्याख्या:
यह सवाल अक्सर बच्चों को भ्रमित करने के लिए पूछा जाता है। लेकिन असल में:
• पेड़ की ऊँचाई ऊपर की ओर बढ़ती है, यानी नई वृद्धि शिखर (top) पर होती है।
• नीचे की पुरानी लकड़ी (trunk) और उसकी ऊंचाई स्थिर रहती है – यानी वहाँ लगी कोई कील या बोर्ड उसी ऊँचाई पर बना रहता है।
🌳 स्थिति:
• कील लगी: सन 1985 में
• पूछी गई स्थिति: सन 1998 में
• अंतर: 13 वर्ष
• वृद्धि दर: 4 इंच प्रति वर्ष, लेकिन यह ऊपर की ओर बढ़ती है, कील की ऊँचाई नहीं बदलती।
🧠 निष्कर्ष:
वृक्ष में लगी कील की ऊंचाई कभी नहीं बदलती, चाहे वृक्ष कितना भी ऊँचा हो जाए।
इसलिए कील अब भी 5 फीट की ऊँचाई पर ही होगी। ✅ सही उत्तर: A. पाँच फीट
प्रश्न: जलोदभिद निम्न में से किसकी उपस्थिति के कारण जल पर तैरते हैं?
उत्तर: बायुतक की
✅ सही उत्तर: A. बायुतक की
🔍 व्याख्या:
जलोदभिद (Hydrophytes) वे पौधे होते हैं जो पानी में उगते हैं — जैसे कमल, जलकुंभी आदि।
इनमें पाया जाता है एक विशेष प्रकार का ऊतक जिसे कहते हैं — बायुतक (Aerenchyma)।
🌿 बायुतक (Aerenchyma) की विशेषताएँ:
• इसमें बड़े-बड़े वायु रिक्त स्थान (air spaces) होते हैं।
• ये वायु स्थान पौधे को हल्कापन (buoyancy) प्रदान करते हैं।
• इसी वजह से जलोदभिद पानी पर तैर सकते हैं।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• B. मृदुतक (Parenchyma) – सामान्य ऊतक है, परंतु तैरने में सीधे मदद नहीं करता।
• C. हरित उत्तक (Chlorenchyma) – प्रकाश संश्लेषण करता है, तैरने से कोई संबंध नहीं।
• D. दृढोतक (Sclerenchyma) – कठोरता और मजबूती देता है, यह पौधे को भारी बना सकता है।
📘 निष्कर्ष:
जलोदभिद पौधे बायुतक (Aerenchyma) की उपस्थिति के कारण जल में तैरते हैं।
इसलिए सही उत्तर है – A. बायुतक की ✅
🔍 व्याख्या:
जलोदभिद (Hydrophytes) वे पौधे होते हैं जो पानी में उगते हैं — जैसे कमल, जलकुंभी आदि।
इनमें पाया जाता है एक विशेष प्रकार का ऊतक जिसे कहते हैं — बायुतक (Aerenchyma)।
🌿 बायुतक (Aerenchyma) की विशेषताएँ:
• इसमें बड़े-बड़े वायु रिक्त स्थान (air spaces) होते हैं।
• ये वायु स्थान पौधे को हल्कापन (buoyancy) प्रदान करते हैं।
• इसी वजह से जलोदभिद पानी पर तैर सकते हैं।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• B. मृदुतक (Parenchyma) – सामान्य ऊतक है, परंतु तैरने में सीधे मदद नहीं करता।
• C. हरित उत्तक (Chlorenchyma) – प्रकाश संश्लेषण करता है, तैरने से कोई संबंध नहीं।
• D. दृढोतक (Sclerenchyma) – कठोरता और मजबूती देता है, यह पौधे को भारी बना सकता है।
📘 निष्कर्ष:
जलोदभिद पौधे बायुतक (Aerenchyma) की उपस्थिति के कारण जल में तैरते हैं।
इसलिए सही उत्तर है – A. बायुतक की ✅
प्रश्न: शीर्षस्थ विभाज्योतक उत्तरदायी होता है –
उत्तर: लम्बाई में वृद्धि के लिए
✅ सही उत्तर: A. लम्बाई में वृद्धि के लिए
🔍 व्याख्या:
शीर्षस्थ विभाज्योतक (Apical Meristem) पौधों में वह ऊतक होता है जो शिखर (tip) पर होता है और वहाँ से लम्बाई में वृद्धि (Primary Growth) होती है।
• यह नए कोशिकाओं का निर्माण करता है जिससे पौधा ऊँचा होता है।
• यह पौधे की जड़ और तने के शीर्ष पर पाया जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• B. मोटाई में वृद्धि के लिए – यह कार्य द्वितीयक विभाज्योतक (Secondary Meristem) जैसे कैम्बियम करता है।
• C. मृदुतक में वृद्धि के लिए – मृदुतक (Parenchyma) सामान्य कोशिकाएँ हैं, विभाजन के लिए जिम्मेदार नहीं।
• D. वल्कुट (कलस) में वृद्धि के लिए – यह विशेष विकास है, सामान्य वृद्धि से अलग।
📘 निष्कर्ष:
शीर्षस्थ विभाज्योतक पौधे की लम्बाई (ऊँचाई) बढ़ाने में सहायक होता है।
इसलिए सही उत्तर है – A. लम्बाई में वृद्धि के लिए ✅
🔍 व्याख्या:
शीर्षस्थ विभाज्योतक (Apical Meristem) पौधों में वह ऊतक होता है जो शिखर (tip) पर होता है और वहाँ से लम्बाई में वृद्धि (Primary Growth) होती है।
• यह नए कोशिकाओं का निर्माण करता है जिससे पौधा ऊँचा होता है।
• यह पौधे की जड़ और तने के शीर्ष पर पाया जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• B. मोटाई में वृद्धि के लिए – यह कार्य द्वितीयक विभाज्योतक (Secondary Meristem) जैसे कैम्बियम करता है।
• C. मृदुतक में वृद्धि के लिए – मृदुतक (Parenchyma) सामान्य कोशिकाएँ हैं, विभाजन के लिए जिम्मेदार नहीं।
• D. वल्कुट (कलस) में वृद्धि के लिए – यह विशेष विकास है, सामान्य वृद्धि से अलग।
📘 निष्कर्ष:
शीर्षस्थ विभाज्योतक पौधे की लम्बाई (ऊँचाई) बढ़ाने में सहायक होता है।
इसलिए सही उत्तर है – A. लम्बाई में वृद्धि के लिए ✅
प्रश्न: रंध्रो की संख्या न्यूनीकृत होती है तथा धंसे होते हैं –
उत्तर: मरूदभिदों में
✅ सही उत्तर: D. मरूदभिदों में
🔍 व्याख्या:
रंध्रो (Stomata) पौधों की पत्ती या तने की सतह पर पाए जाने वाले छोटे छिद्र होते हैं, जिनसे गैसों का आदान-प्रदान होता है।
मरूदभिद (Xerophytes) वे पौधे होते हैं जो सूखे और शुष्क वातावरण में रहते हैं।
इनके रंध्रो की संख्या कम (न्यून) होती है ताकि पानी की अधिक मात्रा वाष्पित न हो।
साथ ही, इनके रंध्रो अक्सर धंसे (sunken) होते हैं, जिससे वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. समोदभिद (Halophytes) – ये लवणीय वातावरण के पौधे होते हैं, इनके रंध्रो की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है लेकिन सामान्यतः मरूदभिद जैसे नहीं।
B. लवणोंदभिद (Halophytes) – समानार्थी विकल्प, ये भी नमकीन क्षेत्र के पौधे होते हैं।
C. जलोदभिद (Hydrophytes) – पानी में रहने वाले पौधे, जिनमें रंध्रो की संख्या ज्यादा और खुले होते हैं।
📘 निष्कर्ष:
रंध्रो की संख्या न्यून और धंसे हुए पाए जाते हैं मरूदभिद पौधों में, ताकि पानी की हानि कम हो।
इसलिए सही उत्तर है – D. मरूदभिदों में
🔍 व्याख्या:
रंध्रो (Stomata) पौधों की पत्ती या तने की सतह पर पाए जाने वाले छोटे छिद्र होते हैं, जिनसे गैसों का आदान-प्रदान होता है।
मरूदभिद (Xerophytes) वे पौधे होते हैं जो सूखे और शुष्क वातावरण में रहते हैं।
इनके रंध्रो की संख्या कम (न्यून) होती है ताकि पानी की अधिक मात्रा वाष्पित न हो।
साथ ही, इनके रंध्रो अक्सर धंसे (sunken) होते हैं, जिससे वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. समोदभिद (Halophytes) – ये लवणीय वातावरण के पौधे होते हैं, इनके रंध्रो की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है लेकिन सामान्यतः मरूदभिद जैसे नहीं।
B. लवणोंदभिद (Halophytes) – समानार्थी विकल्प, ये भी नमकीन क्षेत्र के पौधे होते हैं।
C. जलोदभिद (Hydrophytes) – पानी में रहने वाले पौधे, जिनमें रंध्रो की संख्या ज्यादा और खुले होते हैं।
📘 निष्कर्ष:
रंध्रो की संख्या न्यून और धंसे हुए पाए जाते हैं मरूदभिद पौधों में, ताकि पानी की हानि कम हो।
इसलिए सही उत्तर है – D. मरूदभिदों में
प्रश्न: शाखाओं से पत्तियाँ झड़ जाती हैं, निम्न में से किस कारण से?
उत्तर: कॉर्क के बाहर विलगन परत बन जाने से
✅ सही उत्तर: C. कॉर्क के बाहर विलगन परत बन जाने से
🔍 व्याख्या:
पत्तियाँ झड़ने (Leaf fall or Abscission) की प्रक्रिया में शाखा के आधार पर एक विशेष परत बनती है जिसे विलगन परत (Abscission layer) कहते हैं।
यह परत कॉर्क कोशिकाओं से बनी होती है।
जब यह परत पूरी तरह बन जाती है, तो पत्ती शाखा से अलग हो जाती है।
यह प्रक्रिया पत्तियों के गिरने का मुख्य कारण है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. अपना जीवन काल पूर्ण करने से – सही है कि पत्तियाँ अपनी आयु पूरी करने पर झड़ती हैं, लेकिन वह प्रक्रिया विलगन परत बनने से ही होती है।
B. वायुमंडलीय तापमान में गिरावट से – यह एक सहायक कारण हो सकता है, पर मुख्य कारण नहीं।
D. दैनिक काल के छोटा हो जाने से – दिन छोटे होने पर झड़ना प्रेरित हो सकता है, लेकिन मुख्य शारीरिक प्रक्रिया विलगन परत है।
📘 निष्कर्ष:
पत्तियाँ शाखाओं से कॉर्क की विलगन परत बनने के कारण झड़ती हैं।
इसलिए सही उत्तर है – C. कॉर्क के बाहर विलगन परत बन जाने से ✅
🔍 व्याख्या:
पत्तियाँ झड़ने (Leaf fall or Abscission) की प्रक्रिया में शाखा के आधार पर एक विशेष परत बनती है जिसे विलगन परत (Abscission layer) कहते हैं।
यह परत कॉर्क कोशिकाओं से बनी होती है।
जब यह परत पूरी तरह बन जाती है, तो पत्ती शाखा से अलग हो जाती है।
यह प्रक्रिया पत्तियों के गिरने का मुख्य कारण है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. अपना जीवन काल पूर्ण करने से – सही है कि पत्तियाँ अपनी आयु पूरी करने पर झड़ती हैं, लेकिन वह प्रक्रिया विलगन परत बनने से ही होती है।
B. वायुमंडलीय तापमान में गिरावट से – यह एक सहायक कारण हो सकता है, पर मुख्य कारण नहीं।
D. दैनिक काल के छोटा हो जाने से – दिन छोटे होने पर झड़ना प्रेरित हो सकता है, लेकिन मुख्य शारीरिक प्रक्रिया विलगन परत है।
📘 निष्कर्ष:
पत्तियाँ शाखाओं से कॉर्क की विलगन परत बनने के कारण झड़ती हैं।
इसलिए सही उत्तर है – C. कॉर्क के बाहर विलगन परत बन जाने से ✅
प्रश्न: विलामेन (Velamen) की आवश्यकता होती है –
उत्तर: नमी के अवशोषण के लिए
✅ सही उत्तर: C. नमी के अवशोषण के लिए
🔍 व्याख्या:
विलामेन (Velamen) एक विशेष प्रकार की बहिस्त्वचा (epidermal layer) होती है, जो मुख्यतः एपिफाइटिक पौधों जैसे आर्किड की जड़ों में पाई जाती है।
यह मृत कोशिकाओं की मोटी परत होती है जिसमें वायु रिक्त स्थान होते हैं।
इसका मुख्य कार्य वायुमंडल से नमी को अवशोषित करना और पानी के संरक्षण में सहायता करना है।
इसके कारण पौधा वातावरण से सीधे जल प्राप्त कर पाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. पौधों में श्वसन के लिए – श्वसन मुख्यतः पत्तियों और अन्य जीवित कोशिकाओं द्वारा होती है, विलामेन का यह कार्य नहीं।
B. उतकों की सुरक्षा के लिए – सुरक्षा का कार्य मुख्यतः क्यूटिकल और अन्य ऊतकों का होता है, विलामेन का मुख्य कार्य नमी अवशोषण है।
📘 निष्कर्ष:
विलामेन की मुख्य आवश्यकता पौधों के लिए नमी के अवशोषण के लिए होती है।
इसलिए सही उत्तर है – C. नमी के अवशोषण के लिए
🔍 व्याख्या:
विलामेन (Velamen) एक विशेष प्रकार की बहिस्त्वचा (epidermal layer) होती है, जो मुख्यतः एपिफाइटिक पौधों जैसे आर्किड की जड़ों में पाई जाती है।
यह मृत कोशिकाओं की मोटी परत होती है जिसमें वायु रिक्त स्थान होते हैं।
इसका मुख्य कार्य वायुमंडल से नमी को अवशोषित करना और पानी के संरक्षण में सहायता करना है।
इसके कारण पौधा वातावरण से सीधे जल प्राप्त कर पाता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. पौधों में श्वसन के लिए – श्वसन मुख्यतः पत्तियों और अन्य जीवित कोशिकाओं द्वारा होती है, विलामेन का यह कार्य नहीं।
B. उतकों की सुरक्षा के लिए – सुरक्षा का कार्य मुख्यतः क्यूटिकल और अन्य ऊतकों का होता है, विलामेन का मुख्य कार्य नमी अवशोषण है।
📘 निष्कर्ष:
विलामेन की मुख्य आवश्यकता पौधों के लिए नमी के अवशोषण के लिए होती है।
इसलिए सही उत्तर है – C. नमी के अवशोषण के लिए
प्रश्न: पार्श्व विभाज्येतक उत्तरदायी होता है –
उत्तर: मोटाई में वृद्धि के लिए
✅ सही उत्तर: B. मोटाई में वृद्धि के लिए
🔍 व्याख्या:
पार्श्व विभाज्येतक (Lateral Meristem) पौधों में वह ऊतक होता है जो तने और जड़ की मोटाई बढ़ाने में सहायक होता है। इसे कैम्बियम (Cambium) भी कहते हैं।
यह द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) के लिए जिम्मेदार होता है।
इसके कारण पौधे की तना और जड़ की मोटाई बढ़ती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. लम्बाई में वृद्धि के लिए – यह कार्य शीर्षस्थ विभाज्येतक (Apical Meristem) करता है।
C. मृदुतक में वृद्धि के लिए – मृदुतक सामान्य ऊतक है, विभाज्येतक नहीं।
D. वल्कुट में वृद्धि के लिए – वल्कुट (कलस) विकास एक विशेष प्रक्रिया है।
📘 निष्कर्ष:
पार्श्व विभाज्येतक पौधे की मोटाई बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होता है।
इसलिए सही उत्तर है – B. मोटाई में वृद्धि के लिए ✅
🔍 व्याख्या:
पार्श्व विभाज्येतक (Lateral Meristem) पौधों में वह ऊतक होता है जो तने और जड़ की मोटाई बढ़ाने में सहायक होता है। इसे कैम्बियम (Cambium) भी कहते हैं।
यह द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) के लिए जिम्मेदार होता है।
इसके कारण पौधे की तना और जड़ की मोटाई बढ़ती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. लम्बाई में वृद्धि के लिए – यह कार्य शीर्षस्थ विभाज्येतक (Apical Meristem) करता है।
C. मृदुतक में वृद्धि के लिए – मृदुतक सामान्य ऊतक है, विभाज्येतक नहीं।
D. वल्कुट में वृद्धि के लिए – वल्कुट (कलस) विकास एक विशेष प्रक्रिया है।
📘 निष्कर्ष:
पार्श्व विभाज्येतक पौधे की मोटाई बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होता है।
इसलिए सही उत्तर है – B. मोटाई में वृद्धि के लिए ✅
प्रश्न: एक काष्ठीय पौधे की आंतरिक छाल का मुख्य कार्य क्या होता है?
उत्तर: पत्तियों से पौधों के अन्य भागों को खाद्य परिवहन करना
✅ सही उत्तर: C. पत्तियों से पौधों के अन्य भागों को खाद्य परिवहन करना
🔍 व्याख्या:
काष्ठीय पौधे (Dicotyledonous plants) की आंतरिक छाल (Inner Bark) में मुख्य रूप से फ्लोएम (Phloem) पाया जाता है।
फ्लोएम का काम पौधे के पत्तियों में बने खाद्य (ग्लूकोज आदि) को पौधे के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना है।
इसलिए आंतरिक छाल का मुख्य कार्य खाद्य परिवहन होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. जड़ से पत्तियों को खनिज और जल का परिवहन करना – यह कार्य जाइलम (Xylem) करता है, जो मुख्यतः लकड़ी (काष्ठ) में होता है, छाल में नहीं।
B. एक झिल्ली की तरह कार्य करना जो जल और गैस के प्रति अपारगभ्य है – यह क्यूटिकल या बाहरी सतह का कार्य है, आंतरिक छाल का नहीं।
D. पौधों को शाकभक्षी जीवों से रक्षा करना – यह मुख्य रूप से कांटेदार संरचनाओं या विषैले पदार्थों द्वारा होता है, छाल का मुख्य कार्य नहीं।
📘 निष्कर्ष:
काष्ठीय पौधे की आंतरिक छाल मुख्यतः पत्तियों से खाद्य पदार्थों का परिवहन करती है।
इसलिए सही उत्तर है – C. पत्तियों से पौधों के अन्य भागों को खाद्य परिवहन करना ✅
🔍 व्याख्या:
काष्ठीय पौधे (Dicotyledonous plants) की आंतरिक छाल (Inner Bark) में मुख्य रूप से फ्लोएम (Phloem) पाया जाता है।
फ्लोएम का काम पौधे के पत्तियों में बने खाद्य (ग्लूकोज आदि) को पौधे के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना है।
इसलिए आंतरिक छाल का मुख्य कार्य खाद्य परिवहन होता है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. जड़ से पत्तियों को खनिज और जल का परिवहन करना – यह कार्य जाइलम (Xylem) करता है, जो मुख्यतः लकड़ी (काष्ठ) में होता है, छाल में नहीं।
B. एक झिल्ली की तरह कार्य करना जो जल और गैस के प्रति अपारगभ्य है – यह क्यूटिकल या बाहरी सतह का कार्य है, आंतरिक छाल का नहीं।
D. पौधों को शाकभक्षी जीवों से रक्षा करना – यह मुख्य रूप से कांटेदार संरचनाओं या विषैले पदार्थों द्वारा होता है, छाल का मुख्य कार्य नहीं।
📘 निष्कर्ष:
काष्ठीय पौधे की आंतरिक छाल मुख्यतः पत्तियों से खाद्य पदार्थों का परिवहन करती है।
इसलिए सही उत्तर है – C. पत्तियों से पौधों के अन्य भागों को खाद्य परिवहन करना ✅
प्रश्न: वाणिज्यिक मूल्य वाला कॉर्क किससे प्राप्त होता है?
उत्तर: क्वेर्कस
✅ सही उत्तर: D. क्वेर्कस
🔍 व्याख्या:
कॉर्क (Cork) एक विशेष प्रकार का बहिर्मुखी ऊतक होता है जो पेड़ों की छाल से प्राप्त होता है।
वाणिज्यिक कॉर्क मुख्य रूप से क्वेर्कस पेड़ (Quercus species), खासकर Quercus suber से प्राप्त होता है।
यह कॉर्क का उपयोग बोतल कैप, फ्लोरिंग, और अन्य इंसुलेशन सामग्री बनाने में किया जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का संक्षिप्त विवरण:
A. सीड्र्स देवदार (Cedrus deodara) – यह एक काष्ठीय पेड़ है, लेकिन कॉर्क उत्पादन के लिए नहीं प्रसिद्ध।
B. साइकस (Cycas) – यह पत्तेदार पौधा है, कॉर्क से संबंधित नहीं।
C. फाईकस (Ficus) – यह पेड़ भी कॉर्क के लिए उपयोगी नहीं है।
📘 निष्कर्ष:
कॉर्क वाणिज्यिक रूप से क्वेर्कस पेड़ से प्राप्त होता है।
इसलिए सही उत्तर है – D. क्वेर्कस ✅
🔍 व्याख्या:
कॉर्क (Cork) एक विशेष प्रकार का बहिर्मुखी ऊतक होता है जो पेड़ों की छाल से प्राप्त होता है।
वाणिज्यिक कॉर्क मुख्य रूप से क्वेर्कस पेड़ (Quercus species), खासकर Quercus suber से प्राप्त होता है।
यह कॉर्क का उपयोग बोतल कैप, फ्लोरिंग, और अन्य इंसुलेशन सामग्री बनाने में किया जाता है।
📌 अन्य विकल्पों का संक्षिप्त विवरण:
A. सीड्र्स देवदार (Cedrus deodara) – यह एक काष्ठीय पेड़ है, लेकिन कॉर्क उत्पादन के लिए नहीं प्रसिद्ध।
B. साइकस (Cycas) – यह पत्तेदार पौधा है, कॉर्क से संबंधित नहीं।
C. फाईकस (Ficus) – यह पेड़ भी कॉर्क के लिए उपयोगी नहीं है।
📘 निष्कर्ष:
कॉर्क वाणिज्यिक रूप से क्वेर्कस पेड़ से प्राप्त होता है।
इसलिए सही उत्तर है – D. क्वेर्कस ✅
प्रश्न: निम्नलिखित में से किस भारतीय वैज्ञानिक ने पादपों में जल की लंबी दूरी के अभिगमन (water ascent) का सिद्धांत प्रस्तुत किया?
उत्तर: जे. सी. बोस ने
✅ सही उत्तर: A. जे. सी. बोस ने
🔍 व्याख्या:
डॉ. जगदीश चंद्र बोस (J.C. Bose) ने पादपों में जल की लंबी दूरी तक पहुँचने के लिए स्फिंजक क्रिया (Suction Theory) का सिद्धांत प्रस्तुत किया था।
उन्होंने दिखाया कि पौधों के ऊतक तंतुओं में जल के संचरण में वैक्यूम का निर्माण होता है, जिससे जल ऊपर की ओर खिंचा जाता है।
बोस ने पौधों के अंदर जल के परिवहन को समझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
📌 अन्य विकल्प:
बी. साहनी – जीवाश्म विशेषज्ञ, पौधों के जीवाश्म अध्ययन के लिए प्रसिद्ध।
पी. माहेश्वरी – जीन और पौधों के विकास संबंधी शोधकर्ता।
एन. एस. परिहार – वनस्पति शास्त्र के विद्वान।
📘 निष्कर्ष:
जल की लंबी दूरी पर अभिगमन का सिद्धांत जे. सी. बोस ने प्रस्तुत किया था।
इसलिए सही उत्तर है – A. जे. सी. बोस ने ✅
प्रश्न: पौधे के कुछ भाग मोड़ने पर बिना टूटे आसानी से मोड़े जा सकते हैं। कुछ भाग जैसे पत्ते और तने की यह नम्यता (flexibility) किसकी बहुतायत के कारण होती है?
उत्तर: दृढ़ोतक
✅ सही उत्तर: C. दृढ़ोतक
🔍 व्याख्या:
दृढ़ोतक (Collenchyma) एक ऐसा स्थायी ऊतक है जो मुलायम होते हुए भी मजबूत होता है।
इसकी कोशिकाएं अर्ध मोटी दीवारों वाली होती हैं और इनमें सेलुलोज व पेक्टिन की मात्रा अधिक होती है।
यह ऊतक मुख्यतः पत्तियों की मध्य नस, डंठल व नव विकसित तनों में पाया जाता है और उन्हें मोड़ने योग्य लेकिन बिना टूटे रहने की क्षमता प्रदान करता है।
इसलिए पौधे के नम्य (flexible) भागों में इसकी अधिकता होती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. मृदुतक (Parenchyma): यह मुलायम होता है परंतु नम्यता (flexibility) में दृढ़ोतक जितना सहायक नहीं होता।
B. श्लोषोतक (Sclerenchyma): यह कठोर होता है और पौधे को मजबूती देता है, परंतु लचीलापन नहीं देता।
D. दारु और पोषवाह (Xylem & Phloem): ये परिवहन ऊतक हैं, लचीलापन प्रदान करना इनका कार्य नहीं है।
📘 निष्कर्ष:
पत्तियों और तनों की नम्यता का मुख्य कारण दृढ़ोतक ऊतक की उपस्थिति होती है। इसलिए सही उत्तर है – C. दृढ़ोतक ✅
दृढ़ोतक (Collenchyma) एक ऐसा स्थायी ऊतक है जो मुलायम होते हुए भी मजबूत होता है।
इसकी कोशिकाएं अर्ध मोटी दीवारों वाली होती हैं और इनमें सेलुलोज व पेक्टिन की मात्रा अधिक होती है।
यह ऊतक मुख्यतः पत्तियों की मध्य नस, डंठल व नव विकसित तनों में पाया जाता है और उन्हें मोड़ने योग्य लेकिन बिना टूटे रहने की क्षमता प्रदान करता है।
इसलिए पौधे के नम्य (flexible) भागों में इसकी अधिकता होती है।
📌 अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
A. मृदुतक (Parenchyma): यह मुलायम होता है परंतु नम्यता (flexibility) में दृढ़ोतक जितना सहायक नहीं होता।
B. श्लोषोतक (Sclerenchyma): यह कठोर होता है और पौधे को मजबूती देता है, परंतु लचीलापन नहीं देता।
D. दारु और पोषवाह (Xylem & Phloem): ये परिवहन ऊतक हैं, लचीलापन प्रदान करना इनका कार्य नहीं है।
📘 निष्कर्ष:
पत्तियों और तनों की नम्यता का मुख्य कारण दृढ़ोतक ऊतक की उपस्थिति होती है। इसलिए सही उत्तर है – C. दृढ़ोतक ✅
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