Indian Constitution in Hindi PDF - भारतीय संविधान हिंदी PDF

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Indian Constitution in Hindi - Bharat ka Samvidhan PDF

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Indian Constitution in Hindi PDF - भारतीय संविधान हिंदी PDF

भारत का संविधान : एक नजर में

 

भाग-1 : संघ और उसका राज्य क्षेत्र (अनुच्छेद 1-4) 

  • अनुच्छेद-1: संघ का नाम और राज्यक्षेत्र 
  • अनुच्छेद-2: नये राज्यों का प्रवेश या निर्माण। 
  • अनुच्छेद-2 (क):  (निरसित)
  • अनुच्छेद-3: नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन 
  • अनुच्छेद-4: पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिमाणिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियां।

 

भाग-2 : नागरिक (Citizenship) (अनुच्छेद 5-11) 

  • अनुच्छेद-5 संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता। 
  • अनुच्छेद-6 पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों की नागरिकता के अधिकार।
  • अनुच्छेद-7 पाकिस्तान को प्रवजन करने वाले कुछ व्यक्तियों की नागरिकता का अधिकार।
  • अनुच्छेद-8 भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों को नागरिकता का अधिकार।
  • अनुच्छेद-9 विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का भारतीय नागरिक न होना।
  • अनुच्छेद-10 नागरिकता के अधिकारों का बना रहना।
  • अनुच्छेद-11 संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना। 

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भाग-3: मूल अधिकार (Fundamental Rights) (अनुच्छेद 12-35)

  • अनुच्छेद-12 राज्य शब्द की परिभाषा।
  • अनुच्छेद-13 – मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ।

समता का अधिकार (Right to Equality) अनुच्छेद  14-18

  • अनुच्छेद-14 विधि के समक्ष समता।
  • अनुच्छेद-15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार भेदभाव का निषेध।
  • अनच्छेद-16  लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता।
  • अनुच्छेद-17 अस्पृश्यता का अंत।
  • अनुच्छेद-18 उपाधियों का अंत।

स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) अनुच्छेद 19-22

  • अनुच्छेद-19 वाक-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ आधिकारों का संरक्षण।
  • अनुच्छेद-20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण। 
  • अनुच्छेद-21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण। 
  • अनुच्छेद-21(क)  प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार।
  • अनुच्छेद-22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण। 
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) अनुच्छेद 23-24 
  • अनुच्छेद-23 मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रम का निषेध। 
  • अनुच्छेद-24 कारखानों आदि में बाल श्रम का निषेध। 

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedm of Religion) अनुच्छेद 25-28 

  • अनच्छेद-25 अन्त:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और करने की स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद-26 धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद-27 किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के में स्वतंत्रता। 
  • अनुच्छेद-28 कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता। 

संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (Cultural & Educational Right) अनुच्छेद 29-30

  • अनुच्छेद-29 – अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण। 
  • अनुच्छेद-30 – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार।

(Saving of Certain Laws) 

  • अनुच्छेद-31(निरसित)। 
  • अनुच्छेद-31(क) – संपदा आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति। 
  • अनुच्छेद-31(ख) – कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण। 
  • अनुच्छेद-31(ग) – कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति।
  • अनुच्छेद-31(घ) – (निरसित)। 

संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies) 

  • अनुच्छेद-32 – इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार। 
  • अनुच्छेद-32(क) – (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-33 इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का बलों आदि को लागू होने में उपांतरण करने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-34 – जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारी पर निर्बन्धन। 
  • अनुच्छेद-35 – इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान।

भाग-4 : राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) अनुच्छेद 36-51

  • अनुच्छेद-36 – परिभाषा।
  • अनुच्छेद-37 – इस भाग में अंतर्विष्ट तत्वों का लागू होना।
  • अनुच्छेद-38 – राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
  • अनुच्छेद-39 – राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्व।
  • अनुच्छेद-39(क) – समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता।
  • अनुच्छेद-40 – ग्राम पंचायतों का संगठन।
  • अनुच्छेद-41 – कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार। 
  • अनच्छेद-42 – काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध।
  • अनुच्छेद-43 – कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि। अनच्छेद-43(क) – उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना। 
  • अनुच्छेद-44 – नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता। 
  • अनुच्छेद-45 – बालकों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध।
  • अनुच्छेद-46 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि। 
  • अनुच्छेद-47 – पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्त्तव्य। 
  • अनुच्छेद-48 – कृषि और पशु पालन का संगठन। 
  • अनुच्छेद-48(क) – पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा। 
  • अनुच्छेद-49 – राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण। 
  • अनुच्छेद-50 – कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण।
  • अनुच्छेद-51 – अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।

भाग-4 (क): मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) अनुच्छेद-51 (क)

  • अनुच्छेद-51क – मूल कर्तव्य : भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह – 

(a) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। 

(b) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे। 

(c) भारत की संप्रभुता, एकता तथा अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें। 

(d) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। 

(e) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभवों से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हैं। 

(j) व्यक्तिगत और सामहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत पर करें, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि को नई ऊचाइयों को छु सके।

(k) जो माता-पिता अथवा संरक्षक हो वह 6-14 वर्ष के बीच की आयु के यथास्थिति बच्चे अथवा प्रतिपाल्य को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करेगा।

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भाग-5 (अनुच्छेद 52-151)

अध्याय 1 – कार्यपालिका (The Executive) 

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति (The President and Vice-President) (अनुच्छेद 52-73) 
  • अनुच्छेद-52 – भारत का राष्ट्रपति। 
  • अनुच्छेद-53 – संघ की कार्यपालिका शक्ति। 
  • अनुच्छेद-54 राष्ट्रपति का निर्वाचन। 
  • अनुच्छेद-55 राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति।
  • अनुच्छेद-56 राष्ट्रपति की पदावधि।
  • अनुच्छेद-57 पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता। 
  • अनुच्छेद-58 राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएं। 
  • अनुच्छेद-59 राष्ट्रपति के पद के लिए शर्ते।
  • अनुच्छेद-60 राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान। 
  • अनुच्छेद-61 – राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया। 
  • अनुच्छेद-62 राष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि। 
  • अनुच्छेद-63  भारत का उपराष्ट्रपति।
  • अनुच्छेद-64 – उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना। 
  • अनुच्छेद-65 – राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन। 
  • अनुच्छेद-66  उपराष्ट्रपति का निर्वाचन। 
  • अनुच्छेद-67 उपराष्ट्रपति की पदावधि। 
  • अनुच्छेद-68 उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि। 
  • अनुच्छेद-69 – उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।
  • अनुच्छेद-70 – अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन।
  • अनुच्छेद-71 राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषय। 
  • अनुच्छेद-72 क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-73  संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार। 

मंत्रिपरिषद् (Council of Ministers) (अनुच्छेद 74-75) 

  • अनुच्छेद-74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद्। 
  • अनुच्छेद-75 – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध। 

भारत का महान्यायवादी (The Attorney General of India) (अनुच्छेद 76) 

  • अनुच्छेद-76 भारत का महान्यायवादी।

सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business) (अनुच्छेद 77-78) 

  • अनुच्छेद-77 भारत सरकार के कार्य का संचालन। 
  • अनुच्छेद-78 राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य।

          भाग-5 (अनुच्छेद 52-151)

अध्याय 2 : संसद (Parliament) (अनुच्छेद 79-88)

  • अनुच्छेद-79 संसद का गठन। 
  • अनुच्छेद-80  राज्यसभा की संरचना।
  • अनुच्छेद-81 लोकसभा की संरचना।
  • अनुच्छेद-82 प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन।
  • अनुच्छेद-83 संसद के सदनों की अवधि।
  • अनुच्छेद-84 संसद की सदस्यता के लिए अर्हता।
  • अनच्छेद-85 संसद का सत्र, सत्रावसान और विघटन। 
  • अनच्छेद-86 सदनों में अभिभाषण और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार। 
  • अनच्छेद-87 राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण।
  • अनच्छेद-88 सदनों के बारे में मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार।
  •  संसद के अधिकारी (Officers of Parliament) (अनुच्छेद 89-98)
  • अनच्छेद-89  राज्यसभा का सभापति और उपसभापति।
  • अनुच्छेद-90  उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना। 
  • अनुच्छेद-91 सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-92 जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना। 
  • अनुच्छेद-93 लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
  • अनुच्छेद-94 अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना 
  • अनुच्छेद-95 अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-96 जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना। 
  • अनुच्छेद-97 सभापति, उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते। 
  • अनुच्छेद-98 संसद का सचिवालय। 

कार्य संचालन (Conduct of Business) (अनुच्छेद 99-100) 

  • अनुच्छेद-99 सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान। 
  • अनुच्छेद-100 सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति।

सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualification of Members) (अनुच्छेद 101-104) 

  • अनुच्छेद-101 स्थानों का रिक्त होना। 
  • अनुच्छेद-102  सदस्यों के लिए निरर्हताएं। 
  • अनुच्छेद-103 सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय।
  •  अनुच्छेद-104 अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शक्ति। 

संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Privileges and Immunities of Parliament and its Members) अनुच्छेद (105-106)

  • अनुच्छेद-105 संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समिति की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि। 
  • अनुच्छेद-106 – सदस्यों के वेतन और भत्ते।

विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) (अनुच्छेद 107-111) 

  • अनुच्छेद-107 – विधेयकों के पुर:स्थापन और पारित किए जाने के संबंध में 
  • अनुच्छेद-108 – कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक। 
  • अनुच्छेद-109 – धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया। 
  • अनुच्छेद-110 – “धन विधेयक” की परिभाषा। 
  • अनुच्छेद-111 – विधेयकों पर अनुमति। 

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Financial Matters)अनुच्छेद 112-117 

  • अनुच्छेद-112 – वार्षिक वित्तीय विवरण।
  • अनच्छेद-113 – संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया। 
  • अनुच्छेद-114 – विनियोग विधेयक। 
  • अनुच्छेद-115 – अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान। 
  • अनुच्छेद-116 – लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान। 
  • अनुच्छेद-117 – वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध। 

साधारण प्रक्रिया (General Procedures) (अनुच्छेद 118-122) 

  • अनुच्छेद-118 – प्रक्रिया के नियम। 
  • अनुच्छेद-119 संसद में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन। 
  • अनुच्छेद-120 – संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा। 
  • अनुच्छेद-121 – संसद में चर्चा पर निर्बन्धन। 
  • अनुच्छेद-122 – न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना।
 

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         भाग-5 (अनुच्छेद 52-151)

अध्याय 3 – राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां (अनुच्छेद 123) (Legislative Powers of the President)

  • अनुच्छेद-123 – संसद के विश्रांति काल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति।

अध्याय 4 – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary) (अनुच्छेद 124-147)

  • अनुच्छेद-124 – उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन।
  • अनुच्छेद-125 – न्यायाधीशों के वेतन आदि। 
  • अनुच्छेद-126 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-127 – तदर्थ न्यायमूर्ति की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-128 – उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत न्यायाधीशों की उपस्थिति।
  • अनुच्छेद-129 – उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना। 
  • अनुच्छेद-130 – उच्चतम न्यायालय का स्थान।
  • अनुच्छेद-131 क- (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-132 – कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता। 
  • अनुच्छेद-133 – उच्च न्यायालयों से सिविल विषयों से संबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता। 
  • अनुच्छेद-134 क- उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाणपत्र। 
  • अनुच्छेद-135 – विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना। 
  • अनुच्छेद-136 – अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत। 
  • अनुच्छेद-137 – निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन।
  • अनुच्छेद-138 – उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वद्धि।
  • अनुच्छेद 139 – कुछ याचिका (रिट) निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना।
  • अनुच्छेद-139क – कुछ मामलो का अंतकरण।
  • अनुच्छेद-140 – उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तियाँ।
  • अनुच्छेद-141 – उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना। 
  • अनुच्छेद-142 – उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश।
  • अनुच्छेद-143 – उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति। 
  • अनच्छेद-144 – सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना। 
  • अनुच्छेद-144क- (निरसित)।
  • अनुच्छेद-145 – न्यायालय के नियम आदि। 
  • अनुच्छेद-146 – उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय। 
  • अनुच्छेद-147 – निर्वचन।

     

अध्याय 5 – भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) अनुच्छेद 148-151 

  • अनुच्छेद-148 – भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक। 
  • अनुच्छेद-149 – नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियां। • अनुच्छेद-150 – संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्रारूप। 
  • अनुच्छेद-151 – संपरीक्षा प्रतिवेदन।

भाग 6 : राज्य (अनुच्छेद 152-237) 

अध्याय 1 – साधारण (General) (अनुच्छेद 152) 

  • अनुच्छेद-152 – परिभाषा।

अध्याय 2 – कार्यपालिका (The Executive) 

राज्यपाल (The Governor) (अनुच्छेद 153-162) 

  • अनुच्छेद-153 – राज्यों के राज्यपाल। 
  • अनुच्छेद-154 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति। 
  • अनुच्छेद-155 – राज्यपाल की नियक्ति।
  • अनुच्छेद-156 – राज्यपाल की पदावधि।
  • अनुच्छेद-157 – राज्यपाल नियुक्त होने के लिए अर्हताएं। अनुच्छेद-158 – राज्यपाल के पद के लिए शर्ते। 
  • अनुच्छेद-159 – राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञाना । 
  • अनुच्छेद-160 – कछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहना। 
  • अनुच्छेद-161 – क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-162 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार।

मंत्रि-परिषद् (Council of Ministers) (अनुच्छेद 163-164) 

  • अनुच्छेद-163 – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद। 
  • अनुच्छेद-164 – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध। 

राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General for the State) (अनुच्छेद 165) 

  • अनुच्छेद-165 – राज्य का महाधिवक्ता। 

सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business) अनुच्छेद 166-167

  • अनुच्छेद-166 – राज्य की सरकार के कार्य का संचालन। 
  • अनुच्छेद-167 – राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्त्तव्य।

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भाग 6 : राज्य (अनुच्छेद 152-237) 

अध्याय 3 – राज्य का विधानमंडल (The State Legislature)

  • साधारण (General) (अनुच्छेद 168-177) 
  • अनुच्छेद-168 – राज्यों के विधानमंडलों का गठन। 
  • अनुच्छेद-169 – राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सृजन। 
  • अनुच्छेद-170 – विधान सभाओं की संरचना।
  • अनुच्छेद-171 – विधान परिषदों की संरचना। 
  • अनुच्छेद-172 – राज्यों के विधान मंडलों की अवधि। 
  • अनुच्छेद-173 राज्य के विधान मंडल की सदस्यता के लिए अर्हता। 
  • अनुच्छेद-174 – राज्य के विधान मंडल के सत्र, सत्रावसान और विघटन। 
  • अनुच्छेद-175 – सदन या सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार। 
  • अनुच्छेद-176 – राज्यपाल का विशेष अभिभाषण। 
  • अनुच्छेद-177 – सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार। 

राज्य विधान मंडल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) (अनुच्छेद 178-187) 

  • अनुच्छेद-178 – विधान सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष। • अनुच्छेद-179 – अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना। 
  • अनुच्छेद-180 – अध्यक्ष पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति को शक्ति। 
  • अनुच्छेद-181 – जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना। 
  • अनुच्छेद-182 – विधान परिषद् का सभापति और उपसभापति। – 
  • अनुच्छेद-183 – सभापति और उप सभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना। 
  • अनुच्छेद-184 – सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या किसी अन्य को शक्ति। 
  • अनुच्छेद-185 – जब सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना। अनच्छेद-186 – अध्यक्ष आर उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते।
  • अनुच्छेद-187 – राज्य के विधान मंडलों का सचिवालय। 

कार्य संचालन (Conduct of Business) (अनुच्छेद 188-189) 

  • अनुच्छेद-188 – सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान।
  • अनुच्छेद-189 – सदनों में मतदान, रिक्तियों के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति।

सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualification of Members) (अनुच्छेद 190-193) 

  • अनुच्छेद-190 – स्थानों का रिक्त होना।
  • अनुच्छेद-191 – सदस्यता के लिए निरर्हताएं। 
  • अनुच्छेद-192 – सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय।
  • अनुच्छेद-193 – अनुच्छेद 188 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञा करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरहित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति। 

राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, Privileges and Immunities of State Legislatures and their Members) (अनुच्छेद 194-195) 

  • अनुच्छेद-194 – विधान मंडलों के सदनों को तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि। 
  • अनुच्छेद-195 – सदस्यों के वेतन और भत्ते। 

विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) अनुच्छेद 196-201 

  • अनुच्छेद-196 – विधेयकों के पुर:स्थापन और पारित किए जाने के संबंध में उपबंध। 
  • अनुच्छेद-197 – धन विधेयकों से भिन्न विधेयकों के बारे में विधान परिषद् की शक्तियों पर निर्बंधन।
  • अनुच्छेद-198 – धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया। 
  • अनुच्छेद-199 – “धन विधेयक” की परिभाषा। मोपले) 
  • अनुच्छेद-200 – विधेयकों पर अनुमति। 
  • अनुच्छेद-201 – विचार के लिए आरक्षित विधेयक। 

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Financial Matters) (अनुच्छेद 202-207) 

  • अनुच्छेद-202 – वार्षिक वित्तीय विवरण। 
  • अनुच्छेद-203 – विधान मंडल में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया। 
  • अनुच्छेद-204 – विनियोग विधेयक। 
  • अनुच्छेद-205 – अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान। 
  • अनुच्छेद-206 – लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान।
  • अनुच्छेद-207 – वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध। साधारणतया प्रक्रिया (Procedure Generally) (अनुच्छेद 208-212)

• अनुच्छेद-208 – प्रक्रिया के नियम। 

  • अनुच्छेद-209 – राज्य के विधान मंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन। 
  • अनुच्छेद-210 – विधान मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा। 
  • अनुच्छेद-211 – विधान मंडलों में चर्चा पर निबंधन। 
  • अनुच्छेद-212 – न्यायालयों द्वारा विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना।

भाग 6 : राज्य (अनुच्छेद 152-237) 

अध्याय 4 – राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Powers of the Governor) (अनुच्छेद 213) 

  • अनुच्छेद-213 – विधान मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की राज्यपाल की शक्ति।

अध्याय 5 – राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts of the States) (अनुच्छेद 214-232) 

  • अनुच्छेद-214 – राज्यों के लिए उच्च न्यायालय। 
  • अनुच्छेद-215 – उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना। 
  • अनुच्छेद-216 – उच्च न्यायालयों का गठन। 
  • अनुच्छेद-217 – उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्तें।   
  • अनुच्छेद-218 – उच्चतम न्यायालय से संबंधित कुछ उपबंधों का उच्च न्यायालयों पर लागू होना।
  • अनुच्छेद-219 – उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान। 
  • अनुच्छेद-220 – स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात् विधि-व्यवसाय पर निबंधन। 
  • अनुच्छेद-221 – न्यायाधीशों के वेतन आदि। 
  • अनुच्छेद-222 – किसी न्यायाधीश का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय को अंतरण। 
  • अनुच्छेद-223 – कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति।  
  • अनुच्छेद-224 – अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-224-क – उच्च न्यायालयों की बैठकों में सेवानिवृत न्यायाधीशों की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-225 – विद्यमान उच्च न्यायालयों की अधिकारिता। 
  • अनुच्छेद-226 – कुछ याचिका (रिट) निकालने की उच्च न्यायालय की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-226-क- (निरसित)।
  • अनुच्छेद-227 – सभी न्यायालयों के अधीक्षण की उच्च न्यायालय की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-228 – कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण। 
  • अनुच्छेद-228-क – (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-229 – उच्च न्यायालयों के अधिकारी और सेवक तथा व्यय। • अनुच्छेद-230 – उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्य क्षेत्रों पर विस्तार। 
  • अनुच्छेद-231 – दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना। 
  • अनुच्छेद-232 – (निरसित)।

अध्याय 6 – अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) (अनुच्छेद 233-237)

  • अनुच्छेद-233 – जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-233-क – कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा दिए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण। 
  • अनुच्छेद-234 – न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीशों से भिन्न व्यक्तियों की भर्ती। 
  • अनुच्छेद-235 – अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण। 
  • अनुच्छेद-236 – निर्वचन।। 
  • अनुच्छेद-237 – कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबन्धों का लागू होना।

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भाग 7 (अनुच्छेद 238) 

पहली अनुसूची के भाग ख के राज्य (अनुच्छेद 238) 

  • अनुच्छेद-238 – (निरसित)।

भाग 8

संघ राज्य क्षेत्र (The Union Territories)(अनच्छेद 239-240) 

  • अनुच्छेद-239 – संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन। 
  • अनुच्छेद-239-क- कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए स्थानीय विधान मंडलों या मंत्रिपरिषदों का या दोनों का सृजन। 
  • अनुच्छेद-239-ख- विधान मंडलों के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति । 
  • अनुच्छेद-240 – कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति।
  • अनुच्छेद-241 – संघ राज्य क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय। 
  • अनुच्छेद-242 – (निरसित)।

भाग 9 

पंचायतें (अनुच्छेद 243क-243-ण) 

  • अनुच्छेद-243 – परिभाषाएं। 
  • अनुच्छेद-243-क- ग्राम सभा। 
  • अनुच्छेद-243-ख- पंचायतों का गठन। 
  • अनच्छेद-243-ग- पंचायतों की सरचना। 
  • अनुच्छेद-243-घ- स्थानों का आरक्षण। 
  • अनुच्छेद-243-ङ- पंचायतों की अवधि आदि।
  • अनुच्छेद-243-च- सदस्यता के लिए अनर्हता (निरर्हताएं)। 
  • अनुच्छेद-243-छ- पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व।
  • अनुच्छेद-243-ज- पंचायतों द्वारा करारोपण की शक्तियां और उनकी निधियां। 
  • अनुच्छेद-243-झ- वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्तीय आयोग की स्थापना। 
  • अनुच्छेद-243-ब- पंचायतों का लेखा परीक्षण। 
  • अनुच्छेद-243-ट- पंचायतों के निर्वाचन। 
  • अनुच्छेद-243-ठ- संघ राज्य क्षेत्रों पर प्रवर्तन। 
  • अनुच्छेद-243-ड- कतिपय क्षेत्रों में इस भाग का लागू न होना।
  • अनुच्छेद-243-ढ- विद्यमान विधियों और पंचायतों की निरन्तरता। 
  • अनुच्छेद-243-ण- निर्वचनीय मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का वर्जन।

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भाग 9 (क) 

नगरपालिकाएं (अनुच्छेद 243 त -243 य छ) 

  • अनुच्छेद-243-त- परिभाषाएं। 
  • अनुच्छेद-243-थ- नगरपालिकाओं का गठन। 
  • अनुच्छेद-243-द- नगरपालिकाओं की संरचना। 
  • अनुच्छेद-243 – वार्ड समितियों आदि का गठन और उनकी संरचना। • अनुच्छेद-243-न – स्थानों का आरक्षण। 
  • अनुच्छेद-243-प – नगरपालिकाओं की अवधि आदि। 
  • अनुच्छेद-243-फ- सदस्यता के लिए अनर्हता (निरर्हताएं)।
  • अनुच्छेद-243-ब- नगरपालिकाओं आदि की शक्तियां प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व। 
  • अनुच्छेद-243-भ- नगरपालिकाओं द्वारा करारोपण की शक्तियां। 
  • अनुच्छेद-243-म- वित्त आयोग।
  • अनुच्छेद-243-य – नगरपालिकाओं के लेखा का परीक्षण। 
  • अनुच्छेद-243-य क – नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन। 
  • अनुच्छेद-243-य ख – संघ राज्य क्षेत्रों पर प्रवर्तन। 
  • अनुच्छेद-243-य ग – कतिपय क्षेत्रों में इस भाग का लागू न होना। 
  • अनुच्छेद-243-य घ – जिला योजना के लिए समिति। 
  • अनुच्छेद-243-य ङ – महानगरीय योजना के लिए समिति। 
  • अनुच्छेद-243-य च – वर्तमान विधियों तथा नगरपालिकाओं की निरन्तरता। 
  • अनुच्छेद-243-य छ – निर्वाचकीय मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का वर्जन।

भाग 10 

अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र (The Scheduled and Tribal Areas) (अनुच्छेद 244-244 क) 

  • अनुच्छेद-244 – अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन 
  • अनुच्छेद-244-क- असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधान-मंडल या मंत्रिपरिषद का या दोनों का सृजन।

भाग 11 

संघ और राज्यों के बीच संबंध (Relations between the Union and the States) (अनुच्छेद 245-263)

अध्याय 1 – विधायी संबंध (Legislative Relations) (अनुच्छेद 245-255) 

विधायी शक्तियों का वितरण  – (Distribution of Legislative Powers) 

  • अनुच्छेद-245 – संसद और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार। 
  • अनुच्छेद-246 – संसद और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय वस्तु। 
  • अनुच्छेद-247 – कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-248 – अवशिष्ट विधायी शक्तियां। 
  • अनुच्छेद-249 – राज्य सूची के विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-250 – यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची के विषय के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-251 – संसद अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनाई गई विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति। 
  • अनुच्छेद-252 – दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति और ऐसी विधि का किसी अन्य राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना। 
  • अनुच्छेद-253 – अंतर्राष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान।
  • • अनुच्छेद-254 – संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति।
  • अनुच्छेद-255 – सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया का विषय मानना।

अध्याय 2  

प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations)

साधारण  (General) (अनुच्छेद 256-261) 

  • अनुच्छेद-256 – राज्यों की और संघ की बाध्यता।
  • अनुच्छेद-257 – कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण।
  • अनुच्छेद-257-क- (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-258 – कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ की शक्ति।
  • अनुच्छेद-259 – (निरसित)।
  • अनुच्छेद-260 – भारत के बाहर के राज्य क्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता।
  • अनुच्छेद-261 – सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां। 

जल संबंधी विवाद (Disputes relating to Waters) (अनुच्छेद 262)

  • अनच्छेद-262 – अन्तर्राज्यीय नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्याय निर्णयन।

राज्यों के बीच समन्वय (Co-ordinations between States) (अनुच्छेद 263)

  • अनुच्छेद-263 – अंतर्राज्यीय परिषद् के संबंध में उपबंध।

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भाग 12

वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद (Finance, Property, Contracts and Suits) – (अनुच्छेद 264-300 क)

अध्याय 1 – वित्त (Finance) 

साधारण (General) (अनुच्छेद 264-267) 

  • अनुच्छेद-264 – निर्वचन। 
  • अनुच्छेद-265 – विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जाना। 
  • अनुच्छेद-266 – भारत और राज्यों की संचित निधियां और लोक लेखे। 
  • अनुच्छेद-267 – आकस्मिकता निधि। 
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (अनुच्छेद 268-281) (Distribution of Revenues between the Union and the Staes
  • अनुच्छेद-268 – संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाले किंतु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क। 
  • अनुच्छेद-269 – संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु राज्यों को सौंपे जाने वाले कर। 
  • अनुच्छेद-270 – संघ द्वारा उद्गृहीत ओर संगृहीत तथा संघ और राज्यों के बीच वितरित किए न जाने वाले कर। 
  • अनुच्छेद-271 – कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार। 
  • अनुच्छेद-272 – कर जो संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाते हैं तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जा सकेंगे। 
  • अनुच्छेद-273 – जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान।
  • अनुच्छेद-274 – ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की अपेक्षा। 
  • अनुच्छेद-275 – कुछ राज्यों को संघ से अनुदान।
  • अनुच्छेद-276 – वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर कर। 
  • अनुच्छेद-277 – व्यावृत्ति।
  • अनुच्छेद-278 – (निरसित)।
  • अनुच्छेद-279 – “शुद्ध आगम” आदि की गणना। 
  • अनुच्छेद-280 – वित्त आयोग। 
  • अनुच्छेद-281 वित्त आयोग की सिफारिशें।

प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions) (अनुच्छेद 282-291) 

  • अनुच्छेद-282 – संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किए जाने वाले व्यय। 
  • अनुच्छेद-283 – संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि। 
  • अनुच्छेद-284 – लोक सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियां और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा। 
  • अनुच्छेद-285 – संघ की संपत्ति को राज्य के करों से छूट। 
  • अनुच्छेद-286 – माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन।’ 
  • अनुच्छेद-287 – विदयुत पर करो से छूट
  • अनुच्छेद-288 – जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधान से कुछ दशाओं में छुट। 
  • अनुच्छेद-289 – राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छूट।
  • अनुच्छेद-290 – कुछ व्ययों ओर पेंशनों के संबंध में समायोजन।
  • अनुच्छेद-290(क)- कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय। 
  • अनुच्छेद-291 – (निरसित)। 

अध्याय 2 – उधार लेना (Borrowing) (अनुच्छेद 292-293) 

  • अनुच्छेद-292 – भारत सरकार द्वारा उधार लेना। 
  • अनुच्छेद-292 – राज्यों द्वारा उधार लेना

अध्याय 3- संपत्ति, संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद

(Property, Contracts, Rights, Liabilities, Obligations and Suits) 

  • अनुच्छेद-294 – कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार। 
  • अनुच्छेद-295 – अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार। 
  • अनुच्छेद-296 – राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति। 
  • अनुच्छेद-297 – राज्य क्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्रोतों का संघ में निहित होना। 
  • अनुच्छेद-298 – व्यापार करने आदि की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-299 – संविदाएं। 
  • अनुच्छेद-300 – वाद ओर कार्यवाहियां।

अध्याय 4 – संपत्ति का अधिकार (Right to Property) (अनुच्छेद 300 क) 

  • अनुच्छेद-300(क)- विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना

भाग 13

भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम (अनुच्छेद 301-307) (Trade, Commerce and Intercourse within the Territory of India) 

  • अनुच्छेद-301 – व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता।
  • अनुच्छेद-302 – व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निबंधन अधिरोपित करने की संसद की शक्ति।
  • अनुच्छेद-303 – व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बधन। 
  • अनुच्छेद-304 – राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निबंधन।
  • अनुच्छेद-305 – विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति। 
  • अनुच्छेद-306 – (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-307 – अनुच्छेद 301 से अनुच्छेद 304 के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए सतीगो प्राधिकारी की नियुक्ति।

भाग 14

संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं (Services under the Union and the States) (अनुच्छेद 308-323)

अध्याय 1 – सेवाएं (Services) (अनुच्छेद 308-314) 

  • अनुच्छेद-308 – निर्वचन।
  • अनुच्छेद-309 – संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती एवं सेवा की शर्ते। 
  • अनुच्छेद-310 – संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि। 
  • अनुच्छेद-311 – संघ या राज्य के अधीन सिविल हैसियत में नियोजित व्यक्तियों का पदच्यत किया जाना, पद से हटाया जाना या पंक्ति में अवनत किया जाना। 
  • अनुच्छेद-312 – अखिल भारतीय सेवाएं। 
  • अनुच्छेद-312-क- कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-313 – संक्रमण कालीन उपबंध। 
  • अनुच्छेद-314 – (निरसित)। 
  • अध्याय 2 – लोक सेवा आयोग (Public Service Commissions (अनुच्छेद 315-323) 
  • अनुच्छेद-315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग। 
  • अनुच्छेद-316 – सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि। 
  • अनुच्छेद-317 – लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाया जाना और निलंबित किया जाना। 
  • अनुच्छेद-318 – आयोग के सदस्यों और कर्मचारियों की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-319 आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध। 
  • अनुच्छेद-320 – लोक सेवा आयोगों के कृत्य। 
  • अनुच्छेद-321 – लोक सेवा आयोगों पर कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-322 – लोक सेवा आयोगों के व्यय। 
  • अनुच्छेद-323 – लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन।

भाग 14 (क) 

अधिकरण (Tribunals) (अनुच्छेद 323 क-323 ख) 

  • अनुच्छेद-323(क)- प्रशासनिक अधिकरण। 

अनुच्छेद-323(ख)- अन्य विषयों के लिए अधिकरण।


भाग 15

निर्वाचन (Elections) (अनुच्छेद 324-329 क) 

  • अनुच्छेद-324 – निर्वाचनों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग निहित होना। 
  • अनुच्छेद-325 – धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति का निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र न होना और उसके द्वारा किसी विशेष निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा न किया जाना। 
  • अनुच्छेद-326 – लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होना। 
  • अनुच्छेद-327 – विधानमंडलों के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-328 – किसी राज्य के विधानमंडल के लिए निर्वाचनों के संबंध में उपबंध करने की उस विधानमंडल की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-329 – निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन। 
  • अनुच्छेद-329(क) – (निरसित)|

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भाग 16 

कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (Special Provisions Relating to Certain Classes) (अनुच्छेद 330-342) 

  • अनुच्छेद-330 – लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण। 
  • अनुच्छेद-331 – लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व। 
  • अनुच्छेद-332 राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण। 
  • अनुच्छेद-333 – राज्यों की विधानसभाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व। 
  • अनुच्छेद-334 – स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का पचास वर्ष के पश्चात् न रहना। 
  • अनुच्छेद-335 – सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के दावे। 
  • अनुच्छेद-336 – कुछ सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए विशेष उपबंध। 
  • अनुच्छेद-337 आंग्ल-भारतीय समुदाय के लाभ के लिए शैक्षिक अनुदान के लिए विशेष उपबंध। 
  • अनुच्छेद-338 – राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग। 
  • अनुच्छेद-338(क)- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग।
  • अनुच्छेद-339 – अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के बारे में संघ का नियंत्रण। 
  • अनुच्छेद-340 – पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति। 
  • अनुच्छेद-341 – अनुसूचित जातियां। 
  • अनुच्छेद-342 – अनुसूचित जनजातियां।

भाग 17 

भाषा (Official Language)(अनुच्छेद 343-351)

अध्याय 1 – संघ की भाषा (Language of the Union) (अनुच्छेद 343-344) अनुच्छेद-343 – संघ की राजभाषा।

  • अनुच्छेद-344 – राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।

अध्याय 2 – प्रादेशिक भाषाएं (Regional Languages) (अनुच्छेद 345-347) 

  • अनुच्छेद-345 – राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं। 
  • अनुच्छेद-346 – एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा। 
  • अनुच्छेद-347 – किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध। 

अध्याय 3 – उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा (Language of the Supreme Court, High Courts etc.)(अनुच्छेद 348-349) 

  • अनुच्छेद-348 – उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों एवं विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा। 
  • अनुच्छेद-349 – भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया।

अध्याय 4 – विशेष निदेश (Special Directives) (अनुच्छेद 350-351) 

  • अनुच्छेद-350 – व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा। 
  • अनुच्छेद-350-क- प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं। 
  • अनुच्छेद-350-ख- भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी। 
  • अनुच्छेद-351 – हिन्दी भाषा के विकास के लिए निर्देश।

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भाग 18 

आपात उपबंध (Emergency Provisions) (अनुच्छेद 352-360) 

  • अनुच्छेद-352 – आपात की उदघोषणा। 
  • अनुच्छेद-353 – आपात की उद्घोषणा का प्रभाव। 
  • अनुच्छेद-354 – जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तब राजस्वों के वितरण संबंधी उपबंधों का लागू होना। 
  • अनुच्छेद-355 – बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्य की संरक्षा करने का संघ का कर्तव्य। 
  • अनुच्छेद-356 – राज्यों में सांवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध। 
  • अनुच्छेद-357 – अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उद्घोषणा के अधीन विधायी शक्तियों का प्रयोग।
  • अनुच्छेद-358 – आपात के दौरान अनुच्छेद 19 के उपबंधों का निलंबन।
  • अनुच्छेद-359 – आपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन। 
  • अनुच्छेद-359-क- (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-360 – वित्तीय आपात के बारे में उपबंध।

भाग 19 

प्रकीर्ण  (Miscellaneous) (अनुच्छेद 361-367) 

  • अनुच्छेद-361 – राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण। 
  • अनुच्छेद-361(क)- संसद और राज्यों के विधानमंडलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन का संरक्षण।
  • अनुच्छेद-361(ख)- लाभप्रद राजनैतिक पद पर नियुक्ति के लिए निरर्हता ।
  • अनुच्छेद-362 – (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-363 – कुछ संधियों, करारों आदि से उत्पन्न विवादों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन। 
  • अनुच्छेद-363(क)- देशी राज्यों के शासकों को दी गई मान्यता की समाप्ति और निजी-उपाधि (प्रिवीपर्स) का अंत। 
  • अनुच्छेद-364 – महापत्तनों और विमान क्षेत्रों के बारे में विशेष उपबंध। 
  • अनुच्छेद-365- संघ द्वारा दिए गए निदेशों का अनुपालन करने में या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव। 
  • अनुच्छेद-366 – परिभाषाएं।

Indian Constitution in Hindi PDF - भारतीय संविधान हिंदी PDF

भाग 20 

संविधान का संशोधन (Amendment of the Constitution) (अनुच्छेद 368) 

  • अनुच्छेद-368 – संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया।

भाग 21 

अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध (अनुच्छेद 369-392)

  • . (Temporary Transitional and Special Provisions) 
  • अनुच्छेद-369 – राज्य सूची के कुछ विषयों के संबंध में विधि बनाने की संसद की इस प्रकार की अस्थायी शक्ति मानो वे समवर्ती सूची के विषय हों। 
  • अनुच्छेद-370 – जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध।
  • अनुच्छेद-371 – महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-क- नगालैंड राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-ख- असम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-ग- मणिपुर राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-घ- आंध्र प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-ङ- आंध्र प्रदेश में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना। 
  • अनुच्छेद-371-च- सिक्किम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-छ- मिजोरम राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-ज- अरुणाचल प्रदेश राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-371-झ- गोवा राज्य के संबंध में विशेष उपबंध।
  • अनुच्छेद-372 – विद्यमान विधियों का प्रवृत्त रहना और उनका अनुकूलन। 
  • अनुच्छेद-372(क)- विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-373 – निवारक निरोध में रखे गए व्यक्तियों के संबंध में कुछ दशाओं में आदेश करने की राष्ट्रपति की शक्ति। 
  • अनुच्छेद-374 – फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों के और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद् हिज मेजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध। 
  • अनुच्छेद-375 – संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए न्यायालयों एवं प्राधिकारियों का कृत्य करते रहना। 
  • अनुच्छेद-376 – उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध। अनुच्छेद-377 – भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध।
  • अनुच्छेद-378 – लोक सेवा आयोगों के बारे में उपबंध।
  • अनुच्छेद-378-क- आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध। 
  • अनुच्छेद-379-391 – (निरसित)। 
  • अनुच्छेद-392 – कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति।

भाग 22

संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (अनुच्छेद 393-395) Title. Commencement, Authoritative Text in Hindi and Repeals)

  • अनुच्छेद-393 – संक्षिप्त नाम। 
  • अनुच्छेद-394 – प्रारंभ।
  • अनुच्छेद-394-क- हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ। 
  • अनुच्छेद-395 – (निरसित)।
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