23 May
Cell Biology – कोशिका
प्रश्न: कोशिका (Cell) क्या होती है?
उत्तर: कोशिका शरीर की सबसे छोटी इकाई होती है।
कोशिका हमारे शरीर की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है। जैसे एक दीवार ईंटों से बनी होती है, वैसे ही हमारा शरीर कोशिकाओं से बना होता है।
प्रश्न: जंतु कोशिका में कौन-कौन से भाग (अंग) होते हैं?
उत्तर: जंतु कोशिका के मुख्य भाग हैं – कोशिका द्रव्य, केंद्रक, माइटोकॉन्ड्रिया, लाइसोसोम, गोल्जी बॉडी, और राइबोसोम।
- कोशिका द्रव्य (Cytoplasm): कोशिका के अंदर का जेली जैसा पदार्थ जहाँ अन्य अंग स्थित होते हैं। यह कोशिका का तरल भाग होता है। इसमें सारे अन्य अंग तैरते रहते हैं। जैसे एक कटोरी में पानी हो और उसमें चीजें डली हों — वैसा समझो।
- केंद्रक (Nucleus): कोशिका का नियंत्रण केंद्र जो आनुवंशिक सामग्री रखता है। यह कोशिका का दिमाग (brain) होता है। यह कोशिका को नियंत्रित करता है — जैसे कि यह किस समय क्या काम करेगी।
- माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria): कोशिका की ऊर्जा उत्पादन इकाई। इसे कोशिका का पावरहाउस कहते हैं। यह कोशिका को ऊर्जा (energy) देता है। जैसे बिजली घर से आपके घर को बिजली मिलती है, वैसे ही कोशिका को ऊर्जा माइटोकॉन्ड्रिया से मिलती है।
- लाइसोसोम (Lysosome): कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों को तोड़ने वाले अंग। इसे कोशिका की आत्मघाती थैली (Suicidal bag) कहा जाता है। यह खराब चीजों को तोड़ता है और कोशिका की सफाई करता है।
- गोल्जी बॉडी (Golgi Body): प्रोटीन और लिपिड को संशोधित और पैक करने वाला अंग। यह कोशिका में बनी चीजों को पैक और भेजने का काम करती है। जैसे डाकघर पार्सल भेजता है, वैसे ही यह सेल में चीजों को पैक करता है।
- राइबोसोम (Ribosome): प्रोटीन संश्लेषण के लिए जिम्मेदार सूक्ष्म कण। यह कोशिका में प्रोटीन बनाने का काम करता है। शरीर के विकास के लिए प्रोटीन ज़रूरी होता है।
प्रश्न: ‘सेल’ (Cell) नाम किस जीव वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम दिया था?
उत्तर: राबर्ट हुक
राबर्ट हुक (Robert Hooke) ने 1665 में कॉर्क (पेड़ की छाल) के पतले टुकड़े को सूक्ष्मदर्शी से देखा और उसमें छोटे-छोटे खाने जैसे ढांचे पाए।
उन्होंने इन ढांचों को “Cell” नाम दिया क्योंकि ये उन्हें जेल के सेल या कक्षों जैसे दिखे।
उन्होंने इन ढांचों को “Cell” नाम दिया क्योंकि ये उन्हें जेल के सेल या कक्षों जैसे दिखे।
प्रश्न: कौन-सी रचना जंतु कोशिका को वनस्पति कोशिका से विभेदित करती है?
उत्तर: सेंट्रीओल
सेंट्रीओल (Centriole) केवल जंतु कोशिकाओं में पाया जाता है, पादप कोशिकाओं (वनस्पति कोशिकाओं) में यह अनुपस्थित होता है।
इसका कार्य कोशिका विभाजन (Cell Division) में मदद करना होता है।
कोशिका अंग तुलना तालिका:
इसका कार्य कोशिका विभाजन (Cell Division) में मदद करना होता है।
कोशिका अंग तुलना तालिका:
कोशिका अंग | जंतु कोशिका | वनस्पति कोशिका |
---|---|---|
सेंट्रीओल | ✔️ उपस्थित | ❌ अनुपस्थित |
क्लोरोप्लास्ट | ❌ अनुपस्थित | ✔️ उपस्थित |
कोशिका भित्ति | ❌ अनुपस्थित | ✔️ उपस्थित |
प्रश्न: सेंट्रीओल क्या है और यह कहाँ पाया जाता है?
उत्तर: सेंट्रीओल एक बेलनाकार अंग है जो केवल जंतु कोशिका में पाया जाता है।
📌 यह क्या है?
यह एक छोटा बेलनाकार (cylinder-like) अंग होता है।
ये जोड़े में होते हैं (2 सेंट्रीओल मिलकर एक केंद्रक केंद्र — Centrosome — बनाते हैं)।
📌 कार्य क्या है?
जब कोशिका दो भागों में बंटती है (Cell Division), तब ये धागों जैसे स्ट्रक्चर (spindle fibers) बनाते हैं।
ये स्पिंडल फाइबर्स क्रोमोसोम को ठीक से बाँटने में मदद करते हैं।
📌 कहाँ पाया जाता है?
केवल जंतु कोशिका (animal cell) में।
यह एक छोटा बेलनाकार (cylinder-like) अंग होता है।
ये जोड़े में होते हैं (2 सेंट्रीओल मिलकर एक केंद्रक केंद्र — Centrosome — बनाते हैं)।
📌 कार्य क्या है?
जब कोशिका दो भागों में बंटती है (Cell Division), तब ये धागों जैसे स्ट्रक्चर (spindle fibers) बनाते हैं।
ये स्पिंडल फाइबर्स क्रोमोसोम को ठीक से बाँटने में मदद करते हैं।
📌 कहाँ पाया जाता है?
केवल जंतु कोशिका (animal cell) में।
प्रश्न: क्लोरोप्लास्ट क्या है और यह कहाँ पाया जाता है?
उत्तर: क्लोरोप्लास्ट हरे रंग का अंग है जो केवल पादप कोशिका में पाया जाता है और प्रकाश-संश्लेषण में मदद करता है।
📌 यह क्या है?
यह हरे रंग का अंग होता है, जिसमें क्लोरोफिल नामक रंगद्रव्य होता है।
क्लोरोफिल पौधे को हरा रंग देता है।
📌 कार्य क्या है?
इसमें प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) होता है, जिसमें पौधे सूरज की रोशनी से अपना खाना बनाते हैं:
CO₂ + H₂O + Light → Glucose + O₂
इसी कारण क्लोरोप्लास्ट को “पौधे की रसोई” कहा जाता है।
📌 कहाँ पाया जाता है?
केवल पादप कोशिका (plant cell) में।
यह हरे रंग का अंग होता है, जिसमें क्लोरोफिल नामक रंगद्रव्य होता है।
क्लोरोफिल पौधे को हरा रंग देता है।
📌 कार्य क्या है?
इसमें प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) होता है, जिसमें पौधे सूरज की रोशनी से अपना खाना बनाते हैं:
CO₂ + H₂O + Light → Glucose + O₂
इसी कारण क्लोरोप्लास्ट को “पौधे की रसोई” कहा जाता है।
📌 कहाँ पाया जाता है?
केवल पादप कोशिका (plant cell) में।
प्रश्न: कोशिका भित्ति क्या है और यह कहाँ पाई जाती है?
उत्तर: कोशिका भित्ति एक मजबूत बाहरी दीवार होती है, जो केवल पादप कोशिका में पाई जाती है।
📌 यह क्या है?
यह कोशिका की बाहरी मजबूत दीवार होती है, जो कोशिका झिल्ली के बाहर होती है।
यह सेलुलोज (Cellulose) नामक पदार्थ से बनी होती है।
📌 कार्य क्या है?
यह कोशिका को आकार और मजबूती देती है।
यह बाहरी दबाव से कोशिका की रक्षा करती है।
📌 कहाँ पाई जाती है?
केवल पादप कोशिका (plant cell) में।
यह कोशिका की बाहरी मजबूत दीवार होती है, जो कोशिका झिल्ली के बाहर होती है।
यह सेलुलोज (Cellulose) नामक पदार्थ से बनी होती है।
📌 कार्य क्या है?
यह कोशिका को आकार और मजबूती देती है।
यह बाहरी दबाव से कोशिका की रक्षा करती है।
📌 कहाँ पाई जाती है?
केवल पादप कोशिका (plant cell) में।
प्रश्न: कोशिका में राइबोसोम की अनुपस्थिति में निम्न में से कौन-सा कार्य संपादित नहीं होगा?
उत्तर: प्रोटीन संश्लेषण
राइबोसोम (Ribosome) कोशिका का ऐसा भाग है जहाँ प्रोटीन बनते हैं।
इन्हें “Protein factory of the cell” कहा जाता है।
अगर राइबोसोम नहीं होंगे, तो प्रोटीन का निर्माण (Protein Synthesis) संभव नहीं होगा।
👉 इसलिए, प्रोटीन संश्लेषण वह कार्य है जो राइबोसोम के बिना नहीं हो सकता।
इन्हें “Protein factory of the cell” कहा जाता है।
अगर राइबोसोम नहीं होंगे, तो प्रोटीन का निर्माण (Protein Synthesis) संभव नहीं होगा।
👉 इसलिए, प्रोटीन संश्लेषण वह कार्य है जो राइबोसोम के बिना नहीं हो सकता।
प्रश्न: यदि माइटोकॉन्ड्रिया काम करना बंद कर दे तो कोशिका में कौन-सा कार्य नहीं हो पाएगा?
उत्तर: भोजन का ऑक्सीकरण
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) को कोशिका का “Powerhouse” कहा जाता है क्योंकि यह भोजन को ऑक्सीजन के साथ मिलाकर तोड़ता है और ऊर्जा (ATP) बनाता है।
इस प्रक्रिया को भोजन का ऑक्सीकरण (Oxidation of food) कहते हैं।
👉 माइटोकॉन्ड्रिया बंद हो जाने पर कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी, क्योंकि ऑक्सीकरण रुक जाएगा।
इस प्रक्रिया को भोजन का ऑक्सीकरण (Oxidation of food) कहते हैं।
👉 माइटोकॉन्ड्रिया बंद हो जाने पर कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी, क्योंकि ऑक्सीकरण रुक जाएगा।
प्रश्न: कोशिका का ऊर्जा गृह (Power House) किसको कहा जाता है?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया
माइटोकॉन्ड्रिया भोजन को ऑक्सीजन के साथ मिलाकर तोड़ता है और ATP (Adenosine Triphosphate) नामक ऊर्जा प्रदान करता है।
यही कारण है कि इसे “Power House of the Cell” (कोशिका का ऊर्जा गृह) कहा जाता है।
विकल्प और उनके कार्य:
📌 नोट: माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर दो झिल्लियाँ होती हैं, और अंदर की झिल्ली पर ATP बनने की प्रक्रिया होती है।
यही कारण है कि इसे “Power House of the Cell” (कोशिका का ऊर्जा गृह) कहा जाता है।
विकल्प और उनके कार्य:
विकल्प | कार्य |
---|---|
गॉल्जीकाय | प्रोटीन और वसा का संग्रहण और परिवहन करता है |
न्यूक्लिओलस | राइबोसोम बनाने में मदद करता है |
राइबोसोम | प्रोटीन का निर्माण करता है |
📌 नोट: माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर दो झिल्लियाँ होती हैं, और अंदर की झिल्ली पर ATP बनने की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न: निम्नलिखित में कौन सबसे बड़ा कोशिकांग है?
उत्तर: प्लास्टीड
प्लास्टीड, विशेषकर क्लोरोप्लास्ट, पौधों की कोशिकाओं में पाए जाने वाले सबसे बड़े कोशिकांग होते हैं।
ये प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) के लिए ज़िम्मेदार होते हैं और इनमें दोहरी झिल्ली होती है।
अन्य कोशिकांगों की तुलना में इनका आकार बड़ा होता है।
बाकी विकल्पों की तुलना:
• गुणसूत्र: DNA से बने होते हैं, नाभिक के भीतर पाए जाते हैं, आकार में छोटे होते हैं।
• माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन के लिए उत्तरदायी होते हैं, लेकिन आकार में प्लास्टीड से छोटे होते हैं।
• गौल्जीकाय: कोशिकीय उत्पादों के संशोधन और पैकेजिंग का कार्य करते हैं, पर आकार में प्लास्टीड से छोटे होते हैं।
👉 इसलिए, प्लास्टीड सबसे बड़ा कोशिकांग है।
ये प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) के लिए ज़िम्मेदार होते हैं और इनमें दोहरी झिल्ली होती है।
अन्य कोशिकांगों की तुलना में इनका आकार बड़ा होता है।
बाकी विकल्पों की तुलना:
• गुणसूत्र: DNA से बने होते हैं, नाभिक के भीतर पाए जाते हैं, आकार में छोटे होते हैं।
• माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन के लिए उत्तरदायी होते हैं, लेकिन आकार में प्लास्टीड से छोटे होते हैं।
• गौल्जीकाय: कोशिकीय उत्पादों के संशोधन और पैकेजिंग का कार्य करते हैं, पर आकार में प्लास्टीड से छोटे होते हैं।
👉 इसलिए, प्लास्टीड सबसे बड़ा कोशिकांग है।
प्रश्न: कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर: राइबोसोम में
राइबोसोम वह कोशिकांग है जहाँ प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) होता है।
इन्हें कोशिका की “प्रोटीन फैक्ट्री” कहा जाता है।
राइबोसोम दो स्थानों पर पाए जाते हैं:
• एन्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) से जुड़े हुए — जिसे रफ ER (Rough ER) कहते हैं
• कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में स्वतंत्र रूप से
अन्य विकल्पों के कार्य:
• गौल्जी काय — प्रोटीन का संशोधन और पैकेजिंग करता है
• माइटोकॉन्ड्रिया — ऊर्जा (ATP) बनाता है
• सेंट्रोसोम — कोशिका विभाजन में सहायता करता है
👉 इसलिए, प्रोटीन संश्लेषण का केंद्र राइबोसोम होता है।
इन्हें कोशिका की “प्रोटीन फैक्ट्री” कहा जाता है।
राइबोसोम दो स्थानों पर पाए जाते हैं:
• एन्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) से जुड़े हुए — जिसे रफ ER (Rough ER) कहते हैं
• कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में स्वतंत्र रूप से
अन्य विकल्पों के कार्य:
• गौल्जी काय — प्रोटीन का संशोधन और पैकेजिंग करता है
• माइटोकॉन्ड्रिया — ऊर्जा (ATP) बनाता है
• सेंट्रोसोम — कोशिका विभाजन में सहायता करता है
👉 इसलिए, प्रोटीन संश्लेषण का केंद्र राइबोसोम होता है।
प्रश्न: पादप कोशिकाओं का सबसे बाहरी आवरण क्या कहलाता है?
उत्तर: कोशिका भित्ति
पादप (Plant) कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत कोशिका भित्ति (Cell Wall) होती है।
यह परत सेलूलोज़ जैसे पदार्थों से बनी होती है और कोशिका को संरचना व कठोरता प्रदान करती है।
अन्य विकल्पों का विवरण:
• कोशिका झिल्ली (Cell Membrane): कोशिका भित्ति के अंदर पाई जाती है, यह अर्धपारगम्य होती है।
• टोनोप्लास्ट: यह केंद्रीय रसधारी रिक्तिका (vacuole) की झिल्ली होती है, न कि सबसे बाहरी परत।
• अंत:प्रद्र्वी जालिका (Endoplasmic Reticulum): यह कोशिका के भीतर पाया जाने वाला एक अंगक (organelle) है।
👉 इसलिए, पादप कोशिका का सबसे बाहरी आवरण कोशिका भित्ति होती है।
यह परत सेलूलोज़ जैसे पदार्थों से बनी होती है और कोशिका को संरचना व कठोरता प्रदान करती है।
अन्य विकल्पों का विवरण:
• कोशिका झिल्ली (Cell Membrane): कोशिका भित्ति के अंदर पाई जाती है, यह अर्धपारगम्य होती है।
• टोनोप्लास्ट: यह केंद्रीय रसधारी रिक्तिका (vacuole) की झिल्ली होती है, न कि सबसे बाहरी परत।
• अंत:प्रद्र्वी जालिका (Endoplasmic Reticulum): यह कोशिका के भीतर पाया जाने वाला एक अंगक (organelle) है।
👉 इसलिए, पादप कोशिका का सबसे बाहरी आवरण कोशिका भित्ति होती है।
प्रश्न: कोशिका को एक निश्चित रूप कौन प्रदान करता है?
उत्तर: कोशिका भित्ति
कोशिका भित्ति (Cell Wall) एक कठोर और दृढ़ संरचना होती है जो पादप कोशिकाओं में पाई जाती है।
यह न केवल कोशिका को एक निश्चित आकार प्रदान करती है बल्कि उसे बाहरी दबाव और यांत्रिक चोट से संरक्षण भी देती है।
अन्य विकल्पों का विवरण:
• कोशिका झिल्ली: यह कोशिका की भीतरी झिल्ली है, लचीली होती है और अर्धपारगम्य होती है, पर कोशिका का आकार निर्धारित नहीं करती।
• केन्द्रीका (Nucleolus): यह केंद्रक (Nucleus) के अंदर होता है और राइबोसोम के निर्माण में सहायक होता है।
• गौल्जीकाय (Golgi Apparatus): यह कोशिका के अंदर प्रोटीन व वसा के संशोधन और पैकेजिंग में सहायक होता है, लेकिन कोशिका का आकार निर्धारित नहीं करता।
👉 इसलिए, कोशिका को एक निश्चित रूप देने वाली संरचना कोशिका भित्ति है।
यह न केवल कोशिका को एक निश्चित आकार प्रदान करती है बल्कि उसे बाहरी दबाव और यांत्रिक चोट से संरक्षण भी देती है।
अन्य विकल्पों का विवरण:
• कोशिका झिल्ली: यह कोशिका की भीतरी झिल्ली है, लचीली होती है और अर्धपारगम्य होती है, पर कोशिका का आकार निर्धारित नहीं करती।
• केन्द्रीका (Nucleolus): यह केंद्रक (Nucleus) के अंदर होता है और राइबोसोम के निर्माण में सहायक होता है।
• गौल्जीकाय (Golgi Apparatus): यह कोशिका के अंदर प्रोटीन व वसा के संशोधन और पैकेजिंग में सहायक होता है, लेकिन कोशिका का आकार निर्धारित नहीं करता।
👉 इसलिए, कोशिका को एक निश्चित रूप देने वाली संरचना कोशिका भित्ति है।
प्रश्न: कोशिका द्रव्य में उपस्थित महीन, शाखित, झिल्लीदार और अनियमित नालिकाओं का घना जाल क्या कहलाता है?
उत्तर: अंत:प्रद्रवी जालिका (Endoplasmic Reticulum)
अंत:प्रद्रवी जालिका (Endoplasmic Reticulum – ER) कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली महीन, शाखित, झिल्लीदार और अनियमित नालिकाओं का एक जाल होती है।
यह प्रोटीन और वसा के संश्लेषण एवं कोशिका के अंदर परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ER के प्रकार:
• कणिकायुक्त ER (Rough ER): इस पर राइबोसोम होते हैं, जो प्रोटीन निर्माण में सहायक हैं।
• कणिकारहित ER (Smooth ER): यह वसा (lipid) और स्टेरॉयड के संश्लेषण में मदद करता है।
अन्य विकल्प:
• गौल्जीकाय: प्रोटीन को संशोधित और पैकेज करता है, पर यह शाखित नालिकाओं का जाल नहीं है।
• माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा (ATP) उत्पादन करता है, पर यह जाल के रूप में नहीं होता।
• राइबोसोम: प्रोटीन बनाते हैं, लेकिन यह स्वतंत्र कण होते हैं, जाल नहीं।
👉 इसलिए, यह जाल अंत:प्रद्रवी जालिका कहलाता है।
यह प्रोटीन और वसा के संश्लेषण एवं कोशिका के अंदर परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ER के प्रकार:
• कणिकायुक्त ER (Rough ER): इस पर राइबोसोम होते हैं, जो प्रोटीन निर्माण में सहायक हैं।
• कणिकारहित ER (Smooth ER): यह वसा (lipid) और स्टेरॉयड के संश्लेषण में मदद करता है।
अन्य विकल्प:
• गौल्जीकाय: प्रोटीन को संशोधित और पैकेज करता है, पर यह शाखित नालिकाओं का जाल नहीं है।
• माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा (ATP) उत्पादन करता है, पर यह जाल के रूप में नहीं होता।
• राइबोसोम: प्रोटीन बनाते हैं, लेकिन यह स्वतंत्र कण होते हैं, जाल नहीं।
👉 इसलिए, यह जाल अंत:प्रद्रवी जालिका कहलाता है।
प्रश्न: प्रोटीन निर्माण का सक्रिय स्थल क्या है?
उत्तर: राइबोसोम (Ribosome)
राइबोसोम को “प्रोटीन निर्माण का कारखाना” कहा जाता है क्योंकि यहीं पर प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) होता है।
यह RNA के निर्देशों के अनुसार अमीनो अम्लों को जोड़कर प्रोटीन बनाते हैं।
ये या तो एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough ER) से जुड़े होते हैं या स्वतंत्र रूप से कोशिका द्रव्य (cytoplasm) में पाए जाते हैं।
अन्य विकल्प:
• लाइसोसोम: यह कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों को पचाता है, प्रोटीन नहीं बनाता।
• माइटोकॉन्ड्रिया: यह कोशिका को ऊर्जा (ATP) देता है, न कि प्रोटीन बनाता है।
• गौल्जीकाय: यह प्रोटीन को संशोधित और पैक करता है, निर्माण नहीं करता।
👉 इसलिए, प्रोटीन निर्माण का सक्रिय स्थल राइबोसोम होता है।
यह RNA के निर्देशों के अनुसार अमीनो अम्लों को जोड़कर प्रोटीन बनाते हैं।
ये या तो एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough ER) से जुड़े होते हैं या स्वतंत्र रूप से कोशिका द्रव्य (cytoplasm) में पाए जाते हैं।
अन्य विकल्प:
• लाइसोसोम: यह कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों को पचाता है, प्रोटीन नहीं बनाता।
• माइटोकॉन्ड्रिया: यह कोशिका को ऊर्जा (ATP) देता है, न कि प्रोटीन बनाता है।
• गौल्जीकाय: यह प्रोटीन को संशोधित और पैक करता है, निर्माण नहीं करता।
👉 इसलिए, प्रोटीन निर्माण का सक्रिय स्थल राइबोसोम होता है।
प्रश्न: कौन-सा कोशिकांग केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है?
उत्तर: उपर्युक्त सभी
पादप कोशिकाओं (Plant Cells) में कुछ विशिष्ट कोशिकांग पाए जाते हैं जो प्राणी कोशिकाओं में नहीं होते या अलग रूप में होते हैं। आइए उन्हें समझते हैं:
• कोशिका भित्ति (Cell Wall): यह एक कठोर बाहरी परत होती है, जो सेलूलोज़ से बनी होती है और कोशिका को संरचना व समर्थन देती है।
• लवक (Plastids): इनमें क्लोरोप्लास्ट प्रमुख होता है, जो प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) में मदद करता है और पौधे को हरा रंग देता है।
• रिक्तिकाएं (Vacuoles): पादप कोशिकाओं में यह बहुत बड़ी होती है और जल, खनिज, अपशिष्ट पदार्थों का भंडारण करती है।
👉 इन तीनों अंगकों की उपस्थिति केवल पादप कोशिकाओं में ही देखी जाती है, इसलिए सही उत्तर है “उपर्युक्त सभी”।
• कोशिका भित्ति (Cell Wall): यह एक कठोर बाहरी परत होती है, जो सेलूलोज़ से बनी होती है और कोशिका को संरचना व समर्थन देती है।
• लवक (Plastids): इनमें क्लोरोप्लास्ट प्रमुख होता है, जो प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) में मदद करता है और पौधे को हरा रंग देता है।
• रिक्तिकाएं (Vacuoles): पादप कोशिकाओं में यह बहुत बड़ी होती है और जल, खनिज, अपशिष्ट पदार्थों का भंडारण करती है।
👉 इन तीनों अंगकों की उपस्थिति केवल पादप कोशिकाओं में ही देखी जाती है, इसलिए सही उत्तर है “उपर्युक्त सभी”।
प्रश्न: कोशिकीय श्वसन का सक्रिय स्थल क्या है?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया
माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का “शक्ति गृह” (Powerhouse) कहा जाता है। यह वह स्थान है जहाँ कोशिकीय श्वसन की प्रक्रिया होती है।
इस प्रक्रिया में ग्लूकोज जैसे अणु ऑक्सीजन की उपस्थिति में टूटते हैं और ATP (Adenosine Triphosphate) नामक ऊर्जा-अणु का निर्माण होता है। यह ऊर्जा कोशिका की सभी जैव क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है।
➤ अन्य विकल्पों की भूमिका:
• गौल्जीकाय: यह प्रोटीन और वसा का संशोधन और पैकेजिंग करता है।
• राइबोसोम: यह प्रोटीन संश्लेषण करता है।
• लाइसोसोम: यह अपशिष्ट पदार्थों का पाचन करता है।
👉 इसलिए, कोशिकीय श्वसन का सक्रिय स्थल केवल माइटोकॉन्ड्रिया होता है।
इस प्रक्रिया में ग्लूकोज जैसे अणु ऑक्सीजन की उपस्थिति में टूटते हैं और ATP (Adenosine Triphosphate) नामक ऊर्जा-अणु का निर्माण होता है। यह ऊर्जा कोशिका की सभी जैव क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है।
➤ अन्य विकल्पों की भूमिका:
• गौल्जीकाय: यह प्रोटीन और वसा का संशोधन और पैकेजिंग करता है।
• राइबोसोम: यह प्रोटीन संश्लेषण करता है।
• लाइसोसोम: यह अपशिष्ट पदार्थों का पाचन करता है।
👉 इसलिए, कोशिकीय श्वसन का सक्रिय स्थल केवल माइटोकॉन्ड्रिया होता है।
प्रश्न: अवर्णिलवक (Leucoplast) मुख्यतः कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर: जड़ों की कोशिकाओं में
अवर्णिलवक (Leucoplasts) रंगहीन लवक होते हैं जो प्रकाश-संश्लेषण नहीं करते। इनका कार्य मुख्यतः शर्करा, वसा और प्रोटीन का भंडारण करना होता है।
ये उन पौधे के भागों में पाए जाते हैं जो प्रकाश से दूर होते हैं, जैसे:
• जड़ें
• बीज
• गांठें (Tubers)
• कंद (Rhizomes)
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• जड़ों की कोशिकाओं में: ✔️ प्रमुख स्थान जहाँ अवर्णिलवक पाए जाते हैं।
• तनों की कोशिकाओं में: कभी-कभी, लेकिन प्रमुख नहीं।
• पत्तियों की कोशिकाओं में: मुख्यतः हरितलवक (Chloroplast) होते हैं।
• फूलों की कोशिकाओं में: रंगीन वर्णिलवक (Chromoplast) पाए जाते हैं।
👉 इसलिए, अवर्णिलवक मुख्यतः जड़ों की कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
ये उन पौधे के भागों में पाए जाते हैं जो प्रकाश से दूर होते हैं, जैसे:
• जड़ें
• बीज
• गांठें (Tubers)
• कंद (Rhizomes)
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• जड़ों की कोशिकाओं में: ✔️ प्रमुख स्थान जहाँ अवर्णिलवक पाए जाते हैं।
• तनों की कोशिकाओं में: कभी-कभी, लेकिन प्रमुख नहीं।
• पत्तियों की कोशिकाओं में: मुख्यतः हरितलवक (Chloroplast) होते हैं।
• फूलों की कोशिकाओं में: रंगीन वर्णिलवक (Chromoplast) पाए जाते हैं।
👉 इसलिए, अवर्णिलवक मुख्यतः जड़ों की कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
प्रश्न: फूलों और बीजों को विभिन्न प्रकार के आकर्षक रंग कौन प्रदान करता है?
उत्तर: क्रोमोप्लास्ट
क्रोमोप्लास्ट (Chromoplast) रंगीन लवक (Colored Plastid) होते हैं जो पौधों के फूलों, फलों और बीजों को पीला, नारंगी, लाल जैसे चमकदार रंग प्रदान करते हैं।
ये रंग मुख्यतः कैरोटीनॉयड्स (Carotenoids) जैसे वर्णकों की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन रंगों का मुख्य कार्य परागण (Pollination) में सहायक बनना होता है क्योंकि ये रंग पक्षियों और कीटों को आकर्षित करते हैं।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• ल्यूकोप्लास्ट: रंगहीन होते हैं, भंडारण के लिए जिम्मेदार।
• क्रोमोप्लास्ट: ✔️ फूलों और बीजों को रंग प्रदान करते हैं।
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश संश्लेषण करता है, हरा रंग प्रदान करता है।
• टोनोप्लास्ट: यह रिक्तिका की झिल्ली है, रंगों से संबंधित नहीं है।
🌸 इसलिए फूलों और बीजों की सुंदरता का रहस्य है — क्रोमोप्लास्ट!
ये रंग मुख्यतः कैरोटीनॉयड्स (Carotenoids) जैसे वर्णकों की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन रंगों का मुख्य कार्य परागण (Pollination) में सहायक बनना होता है क्योंकि ये रंग पक्षियों और कीटों को आकर्षित करते हैं।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• ल्यूकोप्लास्ट: रंगहीन होते हैं, भंडारण के लिए जिम्मेदार।
• क्रोमोप्लास्ट: ✔️ फूलों और बीजों को रंग प्रदान करते हैं।
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश संश्लेषण करता है, हरा रंग प्रदान करता है।
• टोनोप्लास्ट: यह रिक्तिका की झिल्ली है, रंगों से संबंधित नहीं है।
🌸 इसलिए फूलों और बीजों की सुंदरता का रहस्य है — क्रोमोप्लास्ट!
प्रश्न: पत्तियों को हरा रंग कौन प्रदान करता है?
उत्तर: क्लोरोप्लास्ट
क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) एक प्रकार का हरित लवक (Green Plastid) है, जिसमें क्लोरोफिल नामक हरा वर्णक पाया जाता है। यही पत्तियों को हरा रंग प्रदान करता है और यह प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया में भी मुख्य भूमिका निभाता है।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• क्रोमोप्लास्ट: यह अन्य रंग जैसे पीला, नारंगी, लाल प्रदान करता है, हरा नहीं।
• क्लोरोप्लास्ट: ✔️ यही हरा रंग देता है और प्रकाश संश्लेषण करता है।
• ल्यूकोप्लास्ट: रंगहीन होता है, भंडारण में सहायक।
• टोनोप्लास्ट: रिक्तिका (Vacuole) की झिल्ली है, रंग से संबंधित नहीं।
🍃 इसीलिए पत्तियों की हरियाली का रहस्य है — क्लोरोप्लास्ट और उसमें उपस्थित क्लोरोफिल!
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• क्रोमोप्लास्ट: यह अन्य रंग जैसे पीला, नारंगी, लाल प्रदान करता है, हरा नहीं।
• क्लोरोप्लास्ट: ✔️ यही हरा रंग देता है और प्रकाश संश्लेषण करता है।
• ल्यूकोप्लास्ट: रंगहीन होता है, भंडारण में सहायक।
• टोनोप्लास्ट: रिक्तिका (Vacuole) की झिल्ली है, रंग से संबंधित नहीं।
🍃 इसीलिए पत्तियों की हरियाली का रहस्य है — क्लोरोप्लास्ट और उसमें उपस्थित क्लोरोफिल!
प्रश्न: कोशिका की आत्महत्या की थैली कहलाता है?
उत्तर: लाइसोसोम
लाइसोसोम (Lysosome) को कोशिका की “आत्महत्या की थैली” कहा जाता है क्योंकि इसमें पाचक एंजाइम (digestive enzymes) होते हैं जो कोशिका के पुराने, क्षतिग्रस्त अंगकों या बाहरी हानिकारक तत्वों को पचाने का कार्य करते हैं।
जब कोशिका गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो ये लाइसोसोम फट सकते हैं और इनके एंजाइम पूरी कोशिका को ही नष्ट कर देते हैं — इसलिए यह आत्मविनाश का माध्यम बन जाता है।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• लाइसोसोम: ✔️ पाचक एंजाइमों से युक्त, आत्महत्या की थैली कहलाता है।
• राइबोसोम: प्रोटीन निर्माण करता है, आत्महत्या से कोई संबंध नहीं।
• न्यूक्लिओसोम: डीएनए व हिस्टोन प्रोटीन का संयोजन है, गुणसूत्रों में पाया जाता है।
• गौल्जीकाय: प्रोटीन और वसा का संशोधन व पैकेजिंग करता है, आत्मविनाश से संबंधित नहीं।
🧪 इसलिए, जब बात आती है सेल की सुरक्षा या आत्मविनाश की — तो जवाब होता है लाइसोसोम!
जब कोशिका गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो ये लाइसोसोम फट सकते हैं और इनके एंजाइम पूरी कोशिका को ही नष्ट कर देते हैं — इसलिए यह आत्मविनाश का माध्यम बन जाता है।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• लाइसोसोम: ✔️ पाचक एंजाइमों से युक्त, आत्महत्या की थैली कहलाता है।
• राइबोसोम: प्रोटीन निर्माण करता है, आत्महत्या से कोई संबंध नहीं।
• न्यूक्लिओसोम: डीएनए व हिस्टोन प्रोटीन का संयोजन है, गुणसूत्रों में पाया जाता है।
• गौल्जीकाय: प्रोटीन और वसा का संशोधन व पैकेजिंग करता है, आत्मविनाश से संबंधित नहीं।
🧪 इसलिए, जब बात आती है सेल की सुरक्षा या आत्मविनाश की — तो जवाब होता है लाइसोसोम!
प्रश्न: लाइसोसोम में पाया जाने वाला वह एंजाइम जिनमें जीवद्रव्य को घुला देने या नष्ट कर देने की क्षमता होती है, कहलाता है?
उत्तर: हाइड्रोलाइटिक एंजाइम
हाइड्रोलाइटिक एंजाइम (Hydrolytic Enzymes) वे शक्तिशाली पाचक एंजाइम होते हैं जो जल (H₂O) की सहायता से जैविक अणुओं को तोड़ते हैं।
ये लाइसोसोम में पाए जाते हैं और कोशिका के अंदर प्रोटीन, वसा, शर्करा, न्यूक्लिक अम्ल आदि को पचाने का कार्य करते हैं।
जब कोशिका क्षतिग्रस्त होती है, तो लाइसोसोम फट सकते हैं और ये एंजाइम पूरी कोशिका को पचा सकते हैं — इसलिए लाइसोसोम को “आत्महत्या की थैली” कहा जाता है।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• सेल सैप: रिक्तिकाओं में पाया जाने वाला तरल, एंजाइम नहीं।
• साइटोप्लाज्म: कोशिका का द्रव भाग, पाचन एंजाइम नहीं।
• न्यूक्लिओप्लाज्म: नाभिक के अंदर का तरल, DNA से संबंधित।
• हाइड्रोलाइटिक एंजाइम: ✔️ ये ही लाइसोसोम के पाचक एंजाइम होते हैं।
🧬 इसलिए, कोशिका को अंदर से पचाने वाला प्रमुख एंजाइम है: हाइड्रोलाइटिक एंजाइम!
ये लाइसोसोम में पाए जाते हैं और कोशिका के अंदर प्रोटीन, वसा, शर्करा, न्यूक्लिक अम्ल आदि को पचाने का कार्य करते हैं।
जब कोशिका क्षतिग्रस्त होती है, तो लाइसोसोम फट सकते हैं और ये एंजाइम पूरी कोशिका को पचा सकते हैं — इसलिए लाइसोसोम को “आत्महत्या की थैली” कहा जाता है।
➤ विकल्पों का विश्लेषण:
• सेल सैप: रिक्तिकाओं में पाया जाने वाला तरल, एंजाइम नहीं।
• साइटोप्लाज्म: कोशिका का द्रव भाग, पाचन एंजाइम नहीं।
• न्यूक्लिओप्लाज्म: नाभिक के अंदर का तरल, DNA से संबंधित।
• हाइड्रोलाइटिक एंजाइम: ✔️ ये ही लाइसोसोम के पाचक एंजाइम होते हैं।
🧬 इसलिए, कोशिका को अंदर से पचाने वाला प्रमुख एंजाइम है: हाइड्रोलाइटिक एंजाइम!
प्रश्न: 80% से अधिक सेल (कोशिका) में पाया जाने वाला पदार्थ कौन-सा है?
उत्तर: जल
जल (Water) कोशिका का सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला घटक है। अधिकांश कोशिकाओं में यह 80% से अधिक
🔍 भूमिका:
• सभी जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए माध्यम
• कोशिका की आकृति और तनाव (Turgor pressure) बनाए रखता है
• पदार्थों का परिवहन करता है
• तापमान को नियंत्रित करता है
🧪 विकल्प विश्लेषण:
• प्रोटीन: महत्वपूर्ण संरचनात्मक घटक है, पर सबसे अधिक नहीं।
• चर्बी: ऊर्जा संचय के लिए होती है, पर कम मात्रा में।
• खनिज: कार्यात्मक दृष्टि से आवश्यक, पर बहुत कम मात्रा में।
• जल: ✔️ कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में उपस्थित!
💧 इसलिए, कोशिका में सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित पदार्थ है: जल
🔍 भूमिका:
• सभी जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए माध्यम
• कोशिका की आकृति और तनाव (Turgor pressure) बनाए रखता है
• पदार्थों का परिवहन करता है
• तापमान को नियंत्रित करता है
🧪 विकल्प विश्लेषण:
• प्रोटीन: महत्वपूर्ण संरचनात्मक घटक है, पर सबसे अधिक नहीं।
• चर्बी: ऊर्जा संचय के लिए होती है, पर कम मात्रा में।
• खनिज: कार्यात्मक दृष्टि से आवश्यक, पर बहुत कम मात्रा में।
• जल: ✔️ कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में उपस्थित!
💧 इसलिए, कोशिका में सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित पदार्थ है: जल
प्रश्न: निम्नलिखित में से किसने यह मूल अवधारणा प्रस्तुत की थी कि सभी जीव कोशिकाओं के बने हुए हैं?
उत्तर: स्लाइडेन और टी० श्वान
🧠 कोशिका सिद्धांत (Cell Theory) का यह भाग — “सभी जीव कोशिकाओं से बने हैं” — दो वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किया गया था:
• मैथियास स्लाइडेन (Matthias Schleiden) — 1838 में उन्होंने पाया कि सभी पौधे कोशिकाओं से बने होते हैं।
• थियोडोर श्वान (Theodor Schwann) — 1839 में उन्होंने बताया कि सभी जानवर कोशिकाओं से बने होते हैं।
🧪 विकल्प विश्लेषण:
• 1. पाश्चर: रोगजनक सूक्ष्मजीवों पर कार्य किया, कोशिका सिद्धांत से नहीं जुड़े।
• 2. स्लाइडेन: ✔️ सभी पौधों के लिए कोशिकीय संरचना की पुष्टि की।
• 3. रॉबर्ट हुक: “Cell” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया, पर सिद्धांत नहीं दिया।
• 4. टी० श्वान: ✔️ जानवरों में कोशिका की भूमिका पर कार्य किया।
🔍 निष्कर्ष:
“सभी जीव कोशिकाओं से बने हैं” — यह सिद्धांत स्लाइडेन और श्वान ने मिलकर प्रस्तुत किया था।
• मैथियास स्लाइडेन (Matthias Schleiden) — 1838 में उन्होंने पाया कि सभी पौधे कोशिकाओं से बने होते हैं।
• थियोडोर श्वान (Theodor Schwann) — 1839 में उन्होंने बताया कि सभी जानवर कोशिकाओं से बने होते हैं।
🧪 विकल्प विश्लेषण:
• 1. पाश्चर: रोगजनक सूक्ष्मजीवों पर कार्य किया, कोशिका सिद्धांत से नहीं जुड़े।
• 2. स्लाइडेन: ✔️ सभी पौधों के लिए कोशिकीय संरचना की पुष्टि की।
• 3. रॉबर्ट हुक: “Cell” शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया, पर सिद्धांत नहीं दिया।
• 4. टी० श्वान: ✔️ जानवरों में कोशिका की भूमिका पर कार्य किया।
🔍 निष्कर्ष:
“सभी जीव कोशिकाओं से बने हैं” — यह सिद्धांत स्लाइडेन और श्वान ने मिलकर प्रस्तुत किया था।
प्रश्न: किसकी उपस्थिति के कारण पादप कोशिका और पशु कोशिका में अंतर पाया जाता है?
उत्तर: कोशिका भित्ति
कोशिका भित्ति (Cell Wall) वह संरचना है जो पादप कोशिकाओं में पाई जाती है, जबकि पशु कोशिकाओं में नहीं।
• यह सेलूलोज़ से बनी कठोर बाहरी परत है, जो कोशिका को संरचना, कठोरता और संरक्षण देती है।
• पशु कोशिकाओं में केवल कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) होती है, भित्ति नहीं।
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश-संश्लेषण के लिए, लेकिन जड़ जैसी अपर्णत कोशिकाओं में नहीं होता।
• कोशिका झिल्ली: दोनों (पादप व पशु) में पाई जाती है।
• केंद्रक (Nucleus): दोनों प्रकार की कोशिकाओं में उपस्थित होता है।
🌿 इसलिए, पादप और पशु कोशिकाओं के बीच मुख्य अंतर की वजह है कोशिका भित्ति की उपस्थिति।
• यह सेलूलोज़ से बनी कठोर बाहरी परत है, जो कोशिका को संरचना, कठोरता और संरक्षण देती है।
• पशु कोशिकाओं में केवल कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) होती है, भित्ति नहीं।
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश-संश्लेषण के लिए, लेकिन जड़ जैसी अपर्णत कोशिकाओं में नहीं होता।
• कोशिका झिल्ली: दोनों (पादप व पशु) में पाई जाती है।
• केंद्रक (Nucleus): दोनों प्रकार की कोशिकाओं में उपस्थित होता है।
🌿 इसलिए, पादप और पशु कोशिकाओं के बीच मुख्य अंतर की वजह है कोशिका भित्ति की उपस्थिति।
प्रश्न: गौल्जीकाय (Golgi Apparatus) का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर: स्रावी (Secretion)
गौल्जीकाय कोशिका का एक महत्वपूर्ण अंगक है, जिसे कोशिका का “स्रवण तंत्र” (Secretory System) भी कहा जाता है।
👉 इसका मुख्य कार्य है:
• प्रोटीन और वसा जैसे जैव अणुओं को संशोधित करना
• उन्हें पैक करना (vesicles में)
• और सेल के भीतर या बाहर उचित स्थानों तक स्रवित (secrete) करना
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• श्वसन (A): यह माइटोकॉन्ड्रिया का कार्य है।
• कोशिका विभाजन (B): यह केन्द्रक और केंद्रिकाएं नियंत्रित करती हैं।
• पाचक रस (C): यह लाइसोसोम उत्पन्न करते हैं, न कि गौल्जीकाय।
📦 इसलिए, गौल्जीकाय का मुख्य कार्य है स्राव (Secretion)।
👉 इसका मुख्य कार्य है:
• प्रोटीन और वसा जैसे जैव अणुओं को संशोधित करना
• उन्हें पैक करना (vesicles में)
• और सेल के भीतर या बाहर उचित स्थानों तक स्रवित (secrete) करना
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• श्वसन (A): यह माइटोकॉन्ड्रिया का कार्य है।
• कोशिका विभाजन (B): यह केन्द्रक और केंद्रिकाएं नियंत्रित करती हैं।
• पाचक रस (C): यह लाइसोसोम उत्पन्न करते हैं, न कि गौल्जीकाय।
📦 इसलिए, गौल्जीकाय का मुख्य कार्य है स्राव (Secretion)।
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा कोशिकांग DNA रखता है?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
माइटोकॉन्ड्रिया को “कोशिका का पावर हाउस” कहा जाता है क्योंकि यह ऊर्जा (ATP) उत्पन्न करता है। इसके अलावा, इसका एक अद्वितीय गुण यह है कि इसमें अपना स्वयं का DNA होता है, जिसे माइटोकॉन्ड्रियल DNA कहा जाता है।
➤ विशेषताएँ:
• स्वतः विभाजित हो सकता है
• कुछ प्रोटीन स्वयं बना सकता है
• DNA केवल माता से संतानों को प्राप्त होता है (Maternal Inheritance)
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• सेंट्रीओल (A): कोशिका विभाजन में सहायक, लेकिन DNA नहीं होता
• गौल्जीकाय (B): स्राव और संशोधन करता है, DNA नहीं होता
• लाइसोसोम (C): पाचक एंजाइमों से युक्त, DNA नहीं होता
📌 निष्कर्ष: केवल माइटोकॉन्ड्रिया ऐसा कोशिकांग है जो अपना DNA रखता है।
➤ विशेषताएँ:
• स्वतः विभाजित हो सकता है
• कुछ प्रोटीन स्वयं बना सकता है
• DNA केवल माता से संतानों को प्राप्त होता है (Maternal Inheritance)
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• सेंट्रीओल (A): कोशिका विभाजन में सहायक, लेकिन DNA नहीं होता
• गौल्जीकाय (B): स्राव और संशोधन करता है, DNA नहीं होता
• लाइसोसोम (C): पाचक एंजाइमों से युक्त, DNA नहीं होता
📌 निष्कर्ष: केवल माइटोकॉन्ड्रिया ऐसा कोशिकांग है जो अपना DNA रखता है।
प्रश्न: कौन सा कोशिकांग प्रोटीन संश्लेषण में प्रमुख भूमिका निभाता है?
उत्तर: एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम एवं राइबोसोम
प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) की प्रक्रिया में दो प्रमुख कोशिकांग भाग लेते हैं:
➤ राइबोसोम (Ribosome):
• यह वह स्थान है जहाँ प्रोटीन का वास्तविक निर्माण होता है।
• यह mRNA के निर्देशों के आधार पर अमीनो अम्लों को जोड़कर प्रोटीन बनाता है।
➤ रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough ER):
• इसकी सतह पर राइबोसोम लगे होते हैं।
• यह प्रोटीन को संश्लेषित कर गौल्जीकाय की ओर भेजता है जहाँ उनका संशोधन व पैकेजिंग होती है।
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• लाइसोसोम एवं सेंट्रोसोम (A): पाचन एवं विभाजन से जुड़े हैं, न कि प्रोटीन निर्माण से।
• गौल्जी उपकरण एवं माइटोकॉन्ड्रिया (C): संशोधित और ऊर्जा उत्पादन करते हैं, लेकिन प्रोटीन निर्माण में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं।
• लाइसोसोम एवं माइटोकॉन्ड्रिया (D): पाचन और ऊर्जा उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं, न कि प्रोटीन संश्लेषण के लिए।
✅ निष्कर्ष: राइबोसोम और एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम प्रोटीन निर्माण के लिए सबसे ज़रूरी कोशिकांग हैं।
➤ राइबोसोम (Ribosome):
• यह वह स्थान है जहाँ प्रोटीन का वास्तविक निर्माण होता है।
• यह mRNA के निर्देशों के आधार पर अमीनो अम्लों को जोड़कर प्रोटीन बनाता है।
➤ रफ एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough ER):
• इसकी सतह पर राइबोसोम लगे होते हैं।
• यह प्रोटीन को संश्लेषित कर गौल्जीकाय की ओर भेजता है जहाँ उनका संशोधन व पैकेजिंग होती है।
➤ अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
• लाइसोसोम एवं सेंट्रोसोम (A): पाचन एवं विभाजन से जुड़े हैं, न कि प्रोटीन निर्माण से।
• गौल्जी उपकरण एवं माइटोकॉन्ड्रिया (C): संशोधित और ऊर्जा उत्पादन करते हैं, लेकिन प्रोटीन निर्माण में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं।
• लाइसोसोम एवं माइटोकॉन्ड्रिया (D): पाचन और ऊर्जा उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं, न कि प्रोटीन संश्लेषण के लिए।
✅ निष्कर्ष: राइबोसोम और एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम प्रोटीन निर्माण के लिए सबसे ज़रूरी कोशिकांग हैं।
प्रश्न: ‘प्रोग्रैम्ड सेल डेथ’ का कोशिकीय एवं आणविक नियंत्रण क्या कहलाता है?
उत्तर: एपोप्टोसिस (Apoptosis)
एपोप्टोसिस एक **नियंत्रित और योजनाबद्ध प्रक्रिया** है जिसके माध्यम से शरीर पुरानी, अनावश्यक या क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बिना सूजन के समाप्त कर देता है।
✦ एपोप्टोसिस के लक्षण:
• कोशिका का सिकुड़ना
• DNA का खंडन
• झिल्ली पर बुलबुले बनना (Blebbing)
• कोशिका का छोटे टुकड़ों में टूट जाना
🧬 यह प्रक्रिया विकास (जैसे भ्रूण निर्माण), प्रतिरक्षा तंत्र के संतुलन और कैंसर जैसे रोगों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. एपोप्टोसिस: ✔️ यह नियंत्रित और स्वाभाविक कोशिका मृत्यु है — सही उत्तर।
• B. एंजिंग (Aging): यह उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया है, न कि विशिष्ट कोशिका मृत्यु।
• C. डिजेनेरेशन (Degeneration): यह कोशिका या ऊतक के विघटन को दर्शाता है, लेकिन नियंत्रित नहीं होता।
• D. निक्रोसिस (Necrosis): यह अनियंत्रित, आकस्मिक कोशिका मृत्यु है जो सूजन पैदा करती है — जैसे चोट या विष से।
✅ निष्कर्ष: **एपोप्टोसिस** ही “प्रोग्राम्ड सेल डेथ” का सही वैज्ञानिक नाम है।
✦ एपोप्टोसिस के लक्षण:
• कोशिका का सिकुड़ना
• DNA का खंडन
• झिल्ली पर बुलबुले बनना (Blebbing)
• कोशिका का छोटे टुकड़ों में टूट जाना
🧬 यह प्रक्रिया विकास (जैसे भ्रूण निर्माण), प्रतिरक्षा तंत्र के संतुलन और कैंसर जैसे रोगों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. एपोप्टोसिस: ✔️ यह नियंत्रित और स्वाभाविक कोशिका मृत्यु है — सही उत्तर।
• B. एंजिंग (Aging): यह उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया है, न कि विशिष्ट कोशिका मृत्यु।
• C. डिजेनेरेशन (Degeneration): यह कोशिका या ऊतक के विघटन को दर्शाता है, लेकिन नियंत्रित नहीं होता।
• D. निक्रोसिस (Necrosis): यह अनियंत्रित, आकस्मिक कोशिका मृत्यु है जो सूजन पैदा करती है — जैसे चोट या विष से।
✅ निष्कर्ष: **एपोप्टोसिस** ही “प्रोग्राम्ड सेल डेथ” का सही वैज्ञानिक नाम है।
प्रश्न: कौन-सा अंगक प्रायः जंतु कोशिका में उपस्थित नहीं होता है?
उत्तर: लवक (Plastid)
🔬 लवक (Plastid) विशेष रूप से पादप कोशिकाओं (plant cells) में पाया जाने वाला अंगक है।
यह जंतु कोशिकाओं (animal cells) में **नहीं पाया जाता**।
🌱 लवक के प्रमुख प्रकार:
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश-संश्लेषण करता है (Photosynthesis)।
• क्रोमोप्लास्ट: रंग प्रदान करता है (जैसे – फूलों, फलों में)।
• ल्यूकोप्लास्ट: स्टार्च, तेल, या प्रोटीन का भंडारण करता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. लवक: ✔️ केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है — जंतु कोशिकाओं में अनुपस्थित।
• B. गौल्जीकाय: यह सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में होता है — स्रवण कार्य करता है।
• C. माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन (ATP) का कार्य करता है — सभी कोशिकाओं में होता है।
• D. अंत:प्रद्रव्य जालक: प्रोटीन व वसा संश्लेषण में सहायक — दोनों प्रकार की कोशिकाओं में होता है।
✅ निष्कर्ष: **लवक** ही वह अंगक है जो सामान्यतः केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है और जंतु कोशिकाओं में अनुपस्थित रहता है।
यह जंतु कोशिकाओं (animal cells) में **नहीं पाया जाता**।
🌱 लवक के प्रमुख प्रकार:
• क्लोरोप्लास्ट: प्रकाश-संश्लेषण करता है (Photosynthesis)।
• क्रोमोप्लास्ट: रंग प्रदान करता है (जैसे – फूलों, फलों में)।
• ल्यूकोप्लास्ट: स्टार्च, तेल, या प्रोटीन का भंडारण करता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. लवक: ✔️ केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है — जंतु कोशिकाओं में अनुपस्थित।
• B. गौल्जीकाय: यह सभी यूकैरियोटिक कोशिकाओं में होता है — स्रवण कार्य करता है।
• C. माइटोकॉन्ड्रिया: ऊर्जा उत्पादन (ATP) का कार्य करता है — सभी कोशिकाओं में होता है।
• D. अंत:प्रद्रव्य जालक: प्रोटीन व वसा संश्लेषण में सहायक — दोनों प्रकार की कोशिकाओं में होता है।
✅ निष्कर्ष: **लवक** ही वह अंगक है जो सामान्यतः केवल पादप कोशिकाओं में पाया जाता है और जंतु कोशिकाओं में अनुपस्थित रहता है।
प्रश्न: लाइसोसोमस कार्य करते हैं –
उत्तर: अंत:कोशिकीय पाचन में (Intracellular digestion)
🧪 लाइसोसोम को “कोशिका की आत्महत्या की थैली” (Suicidal Bag of the Cell) कहा जाता है।
✨ मुख्य कार्य: अंत:कोशिकीय पाचन — कोशिका के अंदर मौजूद अनुपयोगी, हानिकारक या मृत अंगकों को पचाना।
🔬 विशेषताएँ:
• हाइड्रोलाइटिक एंजाइम (Hydrolytic Enzymes) होते हैं
• ये एंजाइम प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि को विघटित कर सकते हैं
• गंभीर अवस्था में लाइसोसोम स्वयं फटकर पूरी कोशिका को भी नष्ट कर सकते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. प्रोटीन संश्लेषण में: यह राइबोसोम का कार्य है
• B. प्रोसेसिंग तथा पैकेजिंग में: गौल्जीकाय (Golgi Apparatus) करता है
• C. अंत:कोशिकीय पाचन में: ✔️ यह लाइसोसोम का मुख्य कार्य है
• D. वसा संश्लेषण में: यह स्मूद एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (SER) करता है
✅ निष्कर्ष: लाइसोसोम का प्रमुख कार्य अंत:कोशिकीय पाचन है।
✨ मुख्य कार्य: अंत:कोशिकीय पाचन — कोशिका के अंदर मौजूद अनुपयोगी, हानिकारक या मृत अंगकों को पचाना।
🔬 विशेषताएँ:
• हाइड्रोलाइटिक एंजाइम (Hydrolytic Enzymes) होते हैं
• ये एंजाइम प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि को विघटित कर सकते हैं
• गंभीर अवस्था में लाइसोसोम स्वयं फटकर पूरी कोशिका को भी नष्ट कर सकते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. प्रोटीन संश्लेषण में: यह राइबोसोम का कार्य है
• B. प्रोसेसिंग तथा पैकेजिंग में: गौल्जीकाय (Golgi Apparatus) करता है
• C. अंत:कोशिकीय पाचन में: ✔️ यह लाइसोसोम का मुख्य कार्य है
• D. वसा संश्लेषण में: यह स्मूद एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (SER) करता है
✅ निष्कर्ष: लाइसोसोम का प्रमुख कार्य अंत:कोशिकीय पाचन है।
प्रश्न: कोशिका भित्ति (Cell Wall) होती है –
उत्तर: पारगम्य (Permeable)
🌿 कोशिका भित्ति मुख्य रूप से पादप कोशिकाओं, कवकों और कुछ जीवाणुओं में पाई जाती है। यह जंतु कोशिकाओं में नहीं होती।
🔍 प्रमुख विशेषताएँ:
• यह सेल्यूलोज जैसी कठोर रचनाओं से बनी होती है
• कोशिका को संरचनात्मक समर्थन, आकार और सुरक्षा देती है
• यह पूरी तरह से पारगम्य (Permeable) होती है — जल, गैसें व घुलनशील पदार्थ आसानी से गुजर सकते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. पारगम्य: ✔️ सही — सभी पदार्थ गुजर सकते हैं
• B. अर्द्धपारगम्य: यह विशेषता कोशिका झिल्ली की होती है
• C. चयनात्मक पारगम्य: यह भी प्लाज्मा मेम्ब्रेन के लिए उपयुक्त है
• D. अपारगम्य: ❌ गलत — कोशिका भित्ति पूर्णतः पारगम्य होती है
✅ निष्कर्ष: कोशिका भित्ति एक पारगम्य रचना है।
🔍 प्रमुख विशेषताएँ:
• यह सेल्यूलोज जैसी कठोर रचनाओं से बनी होती है
• कोशिका को संरचनात्मक समर्थन, आकार और सुरक्षा देती है
• यह पूरी तरह से पारगम्य (Permeable) होती है — जल, गैसें व घुलनशील पदार्थ आसानी से गुजर सकते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. पारगम्य: ✔️ सही — सभी पदार्थ गुजर सकते हैं
• B. अर्द्धपारगम्य: यह विशेषता कोशिका झिल्ली की होती है
• C. चयनात्मक पारगम्य: यह भी प्लाज्मा मेम्ब्रेन के लिए उपयुक्त है
• D. अपारगम्य: ❌ गलत — कोशिका भित्ति पूर्णतः पारगम्य होती है
✅ निष्कर्ष: कोशिका भित्ति एक पारगम्य रचना है।
प्रश्न: माइटोकॉन्ड्रिया का भीतरी वलन कहलाता है –
उत्तर: क्रिस्टी (Cristae)
🔬 माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का “शक्ति गृह” (Powerhouse) होता है, जो ATP नामक ऊर्जा अणु का निर्माण करता है।
🧬 इसमें दो झिल्लियाँ होती हैं:
• बाहरी झिल्ली — चिकनी और सीधी
• भीतरी झिल्ली — अंदर की ओर मुड़ी हुई, जिससे क्रिस्टी (Cristae) बनती हैं
✅ क्रिस्टी का कार्य:
• ATP संश्लेषण में सहायक एंजाइम इन्हीं वलनों पर स्थित होते हैं
• सतह क्षेत्र बढ़ाकर ऊर्जा उत्पादन को अधिक प्रभावी बनाते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. क्रिस्टी: ✔️ सही — माइटोकॉन्ड्रिया की भीतरी झिल्ली की वलन
• B. ऑक्सीसोम्स: क्रिस्टी पर मौजूद छोटे एंजाइमिक कण होते हैं
• C. मैट्रिक्स: माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर का तरल पदार्थ
• D. माइक्रोसोम्स: ये एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम से जुड़ी संरचनाएं हैं, माइटोकॉन्ड्रिया से नहीं
🔎 निष्कर्ष: क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया की भीतरी झिल्ली की वलन होती हैं, जिनका ATP निर्माण में मुख्य योगदान होता है।
🧬 इसमें दो झिल्लियाँ होती हैं:
• बाहरी झिल्ली — चिकनी और सीधी
• भीतरी झिल्ली — अंदर की ओर मुड़ी हुई, जिससे क्रिस्टी (Cristae) बनती हैं
✅ क्रिस्टी का कार्य:
• ATP संश्लेषण में सहायक एंजाइम इन्हीं वलनों पर स्थित होते हैं
• सतह क्षेत्र बढ़ाकर ऊर्जा उत्पादन को अधिक प्रभावी बनाते हैं
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. क्रिस्टी: ✔️ सही — माइटोकॉन्ड्रिया की भीतरी झिल्ली की वलन
• B. ऑक्सीसोम्स: क्रिस्टी पर मौजूद छोटे एंजाइमिक कण होते हैं
• C. मैट्रिक्स: माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर का तरल पदार्थ
• D. माइक्रोसोम्स: ये एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम से जुड़ी संरचनाएं हैं, माइटोकॉन्ड्रिया से नहीं
🔎 निष्कर्ष: क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया की भीतरी झिल्ली की वलन होती हैं, जिनका ATP निर्माण में मुख्य योगदान होता है।
प्रश्न: माइटोकॉन्ड्रिया किसमें अनुपस्थित होता है?
उत्तर: जीवाणु (Bacteria)
🔍 व्याख्या:
माइटोकॉन्ड्रिया एक झिल्ली-बद्ध कोशिकांग (membrane-bound organelle) है जो केवल यूकैरियोटिक कोशिकाओं (Eukaryotic cells) में पाया जाता है।
❌ प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (जैसे जीवाणु) में माइटोकॉन्ड्रिया नहीं होता।
इनमें कोई भी झिल्ली-बद्ध अंगक नहीं होते — न न्यूक्लियस, न गौल्जीकाय, न माइटोकॉन्ड्रिया।
🧪 ऊर्जा निर्माण प्रोकैरियोट्स में कोशिका झिल्ली पर उपस्थित एंजाइमों द्वारा होता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. यीस्ट (Yeast): ✔️ यूकैरियोटिक है — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
• B. कवक (Fungi): ✔️ यूकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
• C. जीवाणु (Bacteria): ❌ प्रोकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया नहीं होता
• D. हरे शैवाल (Green Algae): ✔️ यूकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
✅ निष्कर्ष: माइटोकॉन्ड्रिया केवल यूकैरियोटिक जीवों में पाया जाता है। जीवाणु में यह अनुपस्थित होता है।
माइटोकॉन्ड्रिया एक झिल्ली-बद्ध कोशिकांग (membrane-bound organelle) है जो केवल यूकैरियोटिक कोशिकाओं (Eukaryotic cells) में पाया जाता है।
❌ प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (जैसे जीवाणु) में माइटोकॉन्ड्रिया नहीं होता।
इनमें कोई भी झिल्ली-बद्ध अंगक नहीं होते — न न्यूक्लियस, न गौल्जीकाय, न माइटोकॉन्ड्रिया।
🧪 ऊर्जा निर्माण प्रोकैरियोट्स में कोशिका झिल्ली पर उपस्थित एंजाइमों द्वारा होता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. यीस्ट (Yeast): ✔️ यूकैरियोटिक है — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
• B. कवक (Fungi): ✔️ यूकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
• C. जीवाणु (Bacteria): ❌ प्रोकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया नहीं होता
• D. हरे शैवाल (Green Algae): ✔️ यूकैरियोटिक — माइटोकॉन्ड्रिया होता है
✅ निष्कर्ष: माइटोकॉन्ड्रिया केवल यूकैरियोटिक जीवों में पाया जाता है। जीवाणु में यह अनुपस्थित होता है।
प्रश्न: जीवद्रव्य (Protoplasm) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था?
उत्तर: पुरकिंजे (Purkinje)
🔍 व्याख्या:
Jan Evangelista Purkinje (जन एवेन्जेलिस्टा पुरकिंजे) ने **1839 ई.** में सबसे पहले “Protoplasm” शब्द का प्रयोग किया था।
👉 उन्होंने यह शब्द कोशिका के भीतर उपस्थित जीवित द्रव्य को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया।
📌 Protoplasm = Nucleus (नाभिक) + Cytoplasm (साइटोप्लाज्म)
इसे अक्सर “कोशिका का जीवित भाग” कहा जाता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. डार्विन: ❌ उन्होंने विकासवाद (Evolution) पर कार्य किया
• B. पुरकिंजे: ✔️ सही उत्तर — उन्होंने Protoplasm शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया
• C. जॉन रे: ❌ उन्होंने पौधों के वर्गीकरण में योगदान दिया
• D. हैचिसन: ❌ पारिस्थितिकी विज्ञानी थे, Protoplasm से संबंधित नहीं
✅ निष्कर्ष: Protoplasm शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम Purkinje ने किया था।
Jan Evangelista Purkinje (जन एवेन्जेलिस्टा पुरकिंजे) ने **1839 ई.** में सबसे पहले “Protoplasm” शब्द का प्रयोग किया था।
👉 उन्होंने यह शब्द कोशिका के भीतर उपस्थित जीवित द्रव्य को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया।
📌 Protoplasm = Nucleus (नाभिक) + Cytoplasm (साइटोप्लाज्म)
इसे अक्सर “कोशिका का जीवित भाग” कहा जाता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. डार्विन: ❌ उन्होंने विकासवाद (Evolution) पर कार्य किया
• B. पुरकिंजे: ✔️ सही उत्तर — उन्होंने Protoplasm शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया
• C. जॉन रे: ❌ उन्होंने पौधों के वर्गीकरण में योगदान दिया
• D. हैचिसन: ❌ पारिस्थितिकी विज्ञानी थे, Protoplasm से संबंधित नहीं
✅ निष्कर्ष: Protoplasm शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम Purkinje ने किया था।
प्रश्न: “जीवद्रव्य जीवन का भौतिक आधार है” — यह किसका कथन है?
उत्तर: हक्सले (Huxley)
🔍 व्याख्या:
यह प्रसिद्ध कथन थॉमस हेनरी हक्सले (Thomas Henry Huxley) द्वारा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि:
“Protoplasm is the physical basis of life”
📌 इसका अर्थ यह है कि जीवद्रव्य (Protoplasm) वह भौतिक माध्यम है जिसमें सभी जीवन क्रियाएँ होती हैं।
🧬 इसलिए जीवद्रव्य को “जीवन का भौतिक आधार” कहा जाता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. हेनरी: ❌ इस कथन से संबंधित नहीं
• B. लैमार्क: ❌ विकासवाद (Evolution by acquired characters) के लिए प्रसिद्ध हैं
• C. हक्सले: ✔️ सही उत्तर — यह कथन उन्होंने ही दिया
• D. ट्रेविरेनस: ❌ जीवद्रव्य पर कार्य किया लेकिन यह कथन नहीं दिया
✅ निष्कर्ष: थॉमस हक्सले ने कहा था — “Protoplasm is the physical basis of life”
यह प्रसिद्ध कथन थॉमस हेनरी हक्सले (Thomas Henry Huxley) द्वारा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि:
“Protoplasm is the physical basis of life”
📌 इसका अर्थ यह है कि जीवद्रव्य (Protoplasm) वह भौतिक माध्यम है जिसमें सभी जीवन क्रियाएँ होती हैं।
🧬 इसलिए जीवद्रव्य को “जीवन का भौतिक आधार” कहा जाता है।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. हेनरी: ❌ इस कथन से संबंधित नहीं
• B. लैमार्क: ❌ विकासवाद (Evolution by acquired characters) के लिए प्रसिद्ध हैं
• C. हक्सले: ✔️ सही उत्तर — यह कथन उन्होंने ही दिया
• D. ट्रेविरेनस: ❌ जीवद्रव्य पर कार्य किया लेकिन यह कथन नहीं दिया
✅ निष्कर्ष: थॉमस हक्सले ने कहा था — “Protoplasm is the physical basis of life”
प्रश्न: DNA के द्विहेलिक्स (Double Helix) प्रारूप को सबसे पहले किसने प्रस्तावित किया?
उत्तर: वाटसन तथा क्रिक (Watson and Crick)
🔍 व्याख्या:
वर्ष 1953 में James Watson और Francis Crick ने DNA अणु की संरचना का द्विहेलिक्स मॉडल प्रस्तुत किया।
📌 इस मॉडल में उन्होंने बताया कि:
• DNA दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं से बना होता है
• ये श्रृंखलाएँ एक-दूसरे के चारों ओर कुंडलित (helical) होती हैं
• दोनों श्रृंखलाओं के बीच नाइट्रोजनयुक्त क्षारकों (A, T, G, C) की युग्मन प्रणाली होती है
📷 इस मॉडल की पुष्टि रोजालिंड फ्रैंकलिन और मॉरिस विल्किंस के X-ray विवर्तन चित्रों से हुई थी
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. वाटसन तथा क्रिक: ✔️ सही उत्तर — इन्होंने 1953 में Double Helix मॉडल प्रस्तावित किया
• B. फिशर तथा हालडानी: ❌ विकासवाद के रासायनिक सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
• C. लामार्क तथा डार्विन: ❌ विकासवाद सिद्धांत से संबंधित हैं, DNA संरचना से नहीं
• D. ह्यूगो डी ब्रीज: ❌ उत्परिवर्तन (mutation) सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
✅ निष्कर्ष: DNA की द्विहेलिक्स संरचना का श्रेय Watson और Crick को जाता है।
वर्ष 1953 में James Watson और Francis Crick ने DNA अणु की संरचना का द्विहेलिक्स मॉडल प्रस्तुत किया।
📌 इस मॉडल में उन्होंने बताया कि:
• DNA दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं से बना होता है
• ये श्रृंखलाएँ एक-दूसरे के चारों ओर कुंडलित (helical) होती हैं
• दोनों श्रृंखलाओं के बीच नाइट्रोजनयुक्त क्षारकों (A, T, G, C) की युग्मन प्रणाली होती है
📷 इस मॉडल की पुष्टि रोजालिंड फ्रैंकलिन और मॉरिस विल्किंस के X-ray विवर्तन चित्रों से हुई थी
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. वाटसन तथा क्रिक: ✔️ सही उत्तर — इन्होंने 1953 में Double Helix मॉडल प्रस्तावित किया
• B. फिशर तथा हालडानी: ❌ विकासवाद के रासायनिक सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
• C. लामार्क तथा डार्विन: ❌ विकासवाद सिद्धांत से संबंधित हैं, DNA संरचना से नहीं
• D. ह्यूगो डी ब्रीज: ❌ उत्परिवर्तन (mutation) सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
✅ निष्कर्ष: DNA की द्विहेलिक्स संरचना का श्रेय Watson और Crick को जाता है।
प्रश्न: न्यूक्लियस (Nucleus) की खोज सर्वप्रथम किसने की थी?
उत्तर: रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown)
🔍 व्याख्या:
रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने 1831 में पौधों की कोशिकाओं का अध्ययन करते हुए न्यूक्लियस (Nucleus) की खोज की थी।
📌 उन्होंने पौधों की कोशिका में एक स्पष्ट गोल संरचना को देखा और इसे “Nucleus” नाम दिया, जो बाद में कोशिका के नियंत्रण केंद्र के रूप में जाना गया।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. ल्युवेनहॉक: ❌ सूक्ष्मदर्शी के उपयोग से सूक्ष्मजीवों की खोज की, लेकिन न्यूक्लियस की नहीं
• B. श्वान: ❌ कोशिका सिद्धांत के प्रवर्तक हैं, पर न्यूक्लियस की खोज नहीं की
• C. हॉफमिस्टर: ❌ कोशिका विभाजन से संबंधित कार्य किए, लेकिन न्यूक्लियस की खोज नहीं
• D. ब्राउन: ✔️ सही उत्तर — 1831 में न्यूक्लियस की खोज की
✅ निष्कर्ष: न्यूक्लियस की खोज का श्रेय रॉबर्ट ब्राउन को जाता है।
रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने 1831 में पौधों की कोशिकाओं का अध्ययन करते हुए न्यूक्लियस (Nucleus) की खोज की थी।
📌 उन्होंने पौधों की कोशिका में एक स्पष्ट गोल संरचना को देखा और इसे “Nucleus” नाम दिया, जो बाद में कोशिका के नियंत्रण केंद्र के रूप में जाना गया।
विकल्पों का विश्लेषण:
• A. ल्युवेनहॉक: ❌ सूक्ष्मदर्शी के उपयोग से सूक्ष्मजीवों की खोज की, लेकिन न्यूक्लियस की नहीं
• B. श्वान: ❌ कोशिका सिद्धांत के प्रवर्तक हैं, पर न्यूक्लियस की खोज नहीं की
• C. हॉफमिस्टर: ❌ कोशिका विभाजन से संबंधित कार्य किए, लेकिन न्यूक्लियस की खोज नहीं
• D. ब्राउन: ✔️ सही उत्तर — 1831 में न्यूक्लियस की खोज की
✅ निष्कर्ष: न्यूक्लियस की खोज का श्रेय रॉबर्ट ब्राउन को जाता है।
प्रश्न: कोशिका की क्रियात्मक गतिविधियां नियंत्रित होती हैं –
उत्तर: केन्द्रक (Nucleus)
🔍 व्याख्या:
केन्द्रक (Nucleus) को “कोशिका का मस्तिष्क” कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका की सभी कार्यात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जैसे कि:
• प्रोटीन संश्लेषण
• कोशिका विभाजन
• आनुवंशिक सूचना का संरक्षण और संचरण
यह DNA (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल) को समाहित करता है, जो कोशिका के संचालन हेतु निर्देश प्रदान करता है।
विकल्प विश्लेषण:
• A. केंद्रिका (Nucleolus): ❌ यह राइबोसोम निर्माण में सहायक होती है, नियंत्रण नहीं करती
• B. माइटोकॉन्ड्रिया: ❌ यह ऊर्जा (ATP) बनाता है, लेकिन नियंत्रण कार्य नहीं करता
• C. जीवद्रव्य (Protoplasm): ❌ यह कोशिका का समग्र सजीव द्रव्य है, पर नियंत्रक नहीं
• D. केन्द्रक: ✔️ सही उत्तर — यही कोशिका की गतिविधियों को नियंत्रित करता है
✅ निष्कर्ष: कोशिका की सभी क्रियात्मक गतिविधियाँ केन्द्रक द्वारा नियंत्रित होती हैं।
केन्द्रक (Nucleus) को “कोशिका का मस्तिष्क” कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका की सभी कार्यात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जैसे कि:
• प्रोटीन संश्लेषण
• कोशिका विभाजन
• आनुवंशिक सूचना का संरक्षण और संचरण
यह DNA (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल) को समाहित करता है, जो कोशिका के संचालन हेतु निर्देश प्रदान करता है।
विकल्प विश्लेषण:
• A. केंद्रिका (Nucleolus): ❌ यह राइबोसोम निर्माण में सहायक होती है, नियंत्रण नहीं करती
• B. माइटोकॉन्ड्रिया: ❌ यह ऊर्जा (ATP) बनाता है, लेकिन नियंत्रण कार्य नहीं करता
• C. जीवद्रव्य (Protoplasm): ❌ यह कोशिका का समग्र सजीव द्रव्य है, पर नियंत्रक नहीं
• D. केन्द्रक: ✔️ सही उत्तर — यही कोशिका की गतिविधियों को नियंत्रित करता है
✅ निष्कर्ष: कोशिका की सभी क्रियात्मक गतिविधियाँ केन्द्रक द्वारा नियंत्रित होती हैं।
प्रश्न: गुणसूत्र (Chromosome) शब्द प्रदान किया –
उत्तर: वाल्डेयर (Waldeyer)
🔍 व्याख्या:
Wilhelm Waldeyer ने 1888 में सबसे पहले “गुणसूत्र” के लिए Chromosome शब्द का प्रयोग किया।
• “Chromosome” दो ग्रीक शब्दों से बना है:
• Chroma = रंग
• Soma = शरीर
गुणसूत्र रंग को आसानी से सोख लेते हैं, इसलिए इन्हें यह नाम दिया गया। ये आनुवंशिक सूचनाओं को वहन करते हैं।
विकल्प विश्लेषण:
• A. हॉफमिस्टर: ❌ कोशिका विभाजन का अध्ययन किया, पर शब्द नहीं गढ़ा
• B. वाल्डेयर: ✔️ सही उत्तर — ‘Chromosome’ शब्द दिया
• C. सूटन: ❌ गुणसूत्र और जीन के संबंध पर कार्य किया
• D. वैगनर: ❌ इस शब्द के साथ सीधे जुड़े नहीं हैं
✅ निष्कर्ष: “गुणसूत्र” शब्द का श्रेय Wilhelm Waldeyer को जाता है।
Wilhelm Waldeyer ने 1888 में सबसे पहले “गुणसूत्र” के लिए Chromosome शब्द का प्रयोग किया।
• “Chromosome” दो ग्रीक शब्दों से बना है:
• Chroma = रंग
• Soma = शरीर
गुणसूत्र रंग को आसानी से सोख लेते हैं, इसलिए इन्हें यह नाम दिया गया। ये आनुवंशिक सूचनाओं को वहन करते हैं।
विकल्प विश्लेषण:
• A. हॉफमिस्टर: ❌ कोशिका विभाजन का अध्ययन किया, पर शब्द नहीं गढ़ा
• B. वाल्डेयर: ✔️ सही उत्तर — ‘Chromosome’ शब्द दिया
• C. सूटन: ❌ गुणसूत्र और जीन के संबंध पर कार्य किया
• D. वैगनर: ❌ इस शब्द के साथ सीधे जुड़े नहीं हैं
✅ निष्कर्ष: “गुणसूत्र” शब्द का श्रेय Wilhelm Waldeyer को जाता है।
प्रश्न: अंत:प्रद्रव्य जालक (E.R.) की खोज की –
उत्तर: पोर्टर ने (Porter)
🔍 व्याख्या:
अंत:प्रद्रव्य जालक (Endoplasmic Reticulum – E.R.) की खोज Keith Porter ने 1945 में की थी।
➤ उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की सहायता से कोशिका के भीतर एक जालक जैसी संरचना को देखा, जिसे उन्होंने “Endoplasmic Reticulum” नाम दिया।
यह दो प्रकार का होता है:
• रफ E.R. (Rough ER): इसमें राइबोसोम जुड़े होते हैं — प्रोटीन संश्लेषण में सहायक
• स्मूद E.R. (Smooth ER): इसमें राइबोसोम नहीं होते — वसा संश्लेषण और विषहरण कार्यों में सहायक
विकल्प विश्लेषण:
• A. सूटन: ❌ गुणसूत्र और जीन से संबंधित कार्य किया
• B. पोर्टर: ✔️ सही उत्तर — E.R. की खोज की
• C. वाटसन: ❌ DNA संरचना (डबल हेलिक्स) से संबंधित
• D. राबर्ट्स: ❌ E.R. से संबंधित नहीं
✅ निष्कर्ष: अंत:प्रद्रव्य जालक (E.R.) की खोज Keith R. Porter ने की थी।
अंत:प्रद्रव्य जालक (Endoplasmic Reticulum – E.R.) की खोज Keith Porter ने 1945 में की थी।
➤ उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की सहायता से कोशिका के भीतर एक जालक जैसी संरचना को देखा, जिसे उन्होंने “Endoplasmic Reticulum” नाम दिया।
यह दो प्रकार का होता है:
• रफ E.R. (Rough ER): इसमें राइबोसोम जुड़े होते हैं — प्रोटीन संश्लेषण में सहायक
• स्मूद E.R. (Smooth ER): इसमें राइबोसोम नहीं होते — वसा संश्लेषण और विषहरण कार्यों में सहायक
विकल्प विश्लेषण:
• A. सूटन: ❌ गुणसूत्र और जीन से संबंधित कार्य किया
• B. पोर्टर: ✔️ सही उत्तर — E.R. की खोज की
• C. वाटसन: ❌ DNA संरचना (डबल हेलिक्स) से संबंधित
• D. राबर्ट्स: ❌ E.R. से संबंधित नहीं
✅ निष्कर्ष: अंत:प्रद्रव्य जालक (E.R.) की खोज Keith R. Porter ने की थी।
प्रश्न: इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी की खोज की –
उत्तर: नॉल तथा रस्का ने (Knoll and Ruska)
🔍 व्याख्या:
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (Electron Microscope) की खोज मैक्स नॉल (Max Knoll) और एर्न्स्ट रस्का (Ernst Ruska) ने 1931 में की थी।
यह सूक्ष्मदर्शी इलेक्ट्रॉनों की किरणों का उपयोग करके सूक्ष्म वस्तुओं की अत्यधिक बढ़ी हुई छवियाँ बनाता है, जो प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से कई गुना अधिक स्पष्ट होती हैं।
➤ Ernst Ruska को 1986 में इस कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला।
विकल्प विश्लेषण:
• A. नॉल तथा रस्का: ✔️ सही उत्तर — इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के आविष्कारक
• B. श्लाईडेन तथा श्वान: ❌ कोशिका सिद्धांत के जनक
• C. फ्लेमिंग तथा ब्राउन: ❌ कोशिका के विभिन्न भागों की खोज में योगदान, पर सूक्ष्मदर्शी नहीं
• D. वाट्सन तथा क्रिक: ❌ DNA के द्विहेलिक्स मॉडल के खोजकर्ता
✅ निष्कर्ष: इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज नॉल और रस्का ने की थी।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (Electron Microscope) की खोज मैक्स नॉल (Max Knoll) और एर्न्स्ट रस्का (Ernst Ruska) ने 1931 में की थी।
यह सूक्ष्मदर्शी इलेक्ट्रॉनों की किरणों का उपयोग करके सूक्ष्म वस्तुओं की अत्यधिक बढ़ी हुई छवियाँ बनाता है, जो प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से कई गुना अधिक स्पष्ट होती हैं।
➤ Ernst Ruska को 1986 में इस कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला।
विकल्प विश्लेषण:
• A. नॉल तथा रस्का: ✔️ सही उत्तर — इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के आविष्कारक
• B. श्लाईडेन तथा श्वान: ❌ कोशिका सिद्धांत के जनक
• C. फ्लेमिंग तथा ब्राउन: ❌ कोशिका के विभिन्न भागों की खोज में योगदान, पर सूक्ष्मदर्शी नहीं
• D. वाट्सन तथा क्रिक: ❌ DNA के द्विहेलिक्स मॉडल के खोजकर्ता
✅ निष्कर्ष: इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज नॉल और रस्का ने की थी।
प्रश्न: वास्तविक केन्द्रक किसमें अनुपस्थित होता है?
उत्तर: जीवाणुओं में
🔍 व्याख्या:
जीवाणु (Bacteria) होते हैं प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic), यानी इनकी कोशिकाओं में वास्तविक केन्द्रक (True Nucleus) नहीं होता।
इनके आनुवंशिक पदार्थ (DNA) एक असंगठित रूप में साइटोप्लाज्म में फैले रहते हैं और किसी नाभिकीय झिल्ली (Nuclear membrane) से घिरे नहीं होते।
📌 इसके विपरीत:
• हरे शैवाल (Green Algae) — यूकैरियोटिक होते हैं, इनमें केन्द्रक होता है
• कवक (Fungi) — यूकैरियोटिक होते हैं, केन्द्रक होता है
• लाइकेन (Lichen) — यह शैवाल और कवक का संयोजन होता है, दोनों यूकैरियोटिक होते हैं
विकल्प विश्लेषण:
• A. जीवाणु — ✅ सही उत्तर
• B. हरे शैवाल — ❌ वास्तविक केन्द्रक होता है
• C. कवक — ❌ केन्द्रक मौजूद होता है
• D. लाइकेनो — ❌ यूकैरियोटिक संगठन होता है
✅ निष्कर्ष: केवल जीवाणु में ही वास्तविक केन्द्रक अनुपस्थित होता है।
जीवाणु (Bacteria) होते हैं प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic), यानी इनकी कोशिकाओं में वास्तविक केन्द्रक (True Nucleus) नहीं होता।
इनके आनुवंशिक पदार्थ (DNA) एक असंगठित रूप में साइटोप्लाज्म में फैले रहते हैं और किसी नाभिकीय झिल्ली (Nuclear membrane) से घिरे नहीं होते।
📌 इसके विपरीत:
• हरे शैवाल (Green Algae) — यूकैरियोटिक होते हैं, इनमें केन्द्रक होता है
• कवक (Fungi) — यूकैरियोटिक होते हैं, केन्द्रक होता है
• लाइकेन (Lichen) — यह शैवाल और कवक का संयोजन होता है, दोनों यूकैरियोटिक होते हैं
विकल्प विश्लेषण:
• A. जीवाणु — ✅ सही उत्तर
• B. हरे शैवाल — ❌ वास्तविक केन्द्रक होता है
• C. कवक — ❌ केन्द्रक मौजूद होता है
• D. लाइकेनो — ❌ यूकैरियोटिक संगठन होता है
✅ निष्कर्ष: केवल जीवाणु में ही वास्तविक केन्द्रक अनुपस्थित होता है।
प्रश्न: सर्वाधिक संख्या (2n) में गुणसूत्र पाए जाते हैं –
उत्तर: ओफियोग्लोसस में
🔍 व्याख्या:
ओफियोग्लोसस (Ophioglossum) एक आदिम फर्न (Pteridophyte) है जिसे “Adder’s tongue fern” भी कहा जाता है।
यह पौधा दुनिया में सबसे अधिक द्विगुणित (2n) गुणसूत्र संख्या के लिए जाना जाता है — लगभग 1260 से 1440 तक!
📊 विकल्प तुलना:
• A. गन्ना (Sugarcane) — गुणसूत्र संख्या 2n = 80 (लगभग)
• B. आलू (Potato) — 2n = 48
• C. मनुष्य (Human) — 2n = 46
• D. ओफियोग्लोसस (Ophioglossum) — ✅ 2n = 1260–1440
✅ निष्कर्ष: ओफियोग्लोसस में सभी ज्ञात जीवों में सर्वाधिक गुणसूत्र पाए जाते हैं।
ओफियोग्लोसस (Ophioglossum) एक आदिम फर्न (Pteridophyte) है जिसे “Adder’s tongue fern” भी कहा जाता है।
यह पौधा दुनिया में सबसे अधिक द्विगुणित (2n) गुणसूत्र संख्या के लिए जाना जाता है — लगभग 1260 से 1440 तक!
📊 विकल्प तुलना:
• A. गन्ना (Sugarcane) — गुणसूत्र संख्या 2n = 80 (लगभग)
• B. आलू (Potato) — 2n = 48
• C. मनुष्य (Human) — 2n = 46
• D. ओफियोग्लोसस (Ophioglossum) — ✅ 2n = 1260–1440
✅ निष्कर्ष: ओफियोग्लोसस में सभी ज्ञात जीवों में सर्वाधिक गुणसूत्र पाए जाते हैं।
प्रश्न: कोशिका का जीवित अंश जीवद्रव्य कहलाता है। यह किससे बना होता है?
उत्तर: कोशिकाद्रव्य, केन्द्रकद्रव्य और अन्य कोशिकांग
🔍 व्याख्या:
जीवद्रव्य (Protoplasm) को कोशिका का जीवित अंश कहा जाता है, जो सभी जैविक क्रियाओं का संचालन करता है।
यह तीन प्रमुख घटकों से मिलकर बना होता है:
• कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) – कोशिका झिल्ली और केन्द्रक के बीच स्थित द्रव, जिसमें कोशिकांग तैरते हैं।
• केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) – केन्द्रक के भीतर का द्रव, जिसमें क्रोमेटिन तथा न्यूक्लियोलस होता है।
• अन्य कोशिकांग (Organelles) – जैसे: माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम, गॉल्जीकाय आदि।
✅ निष्कर्ष: जीवद्रव्य = कोशिकाद्रव्य + केन्द्रकद्रव्य + अन्य कोशिकांग
📌 अतः सही उत्तर है: कोशिकाद्रव्य, केन्द्रकद्रव्य और अन्य कोशिकांग
जीवद्रव्य (Protoplasm) को कोशिका का जीवित अंश कहा जाता है, जो सभी जैविक क्रियाओं का संचालन करता है।
यह तीन प्रमुख घटकों से मिलकर बना होता है:
• कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) – कोशिका झिल्ली और केन्द्रक के बीच स्थित द्रव, जिसमें कोशिकांग तैरते हैं।
• केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) – केन्द्रक के भीतर का द्रव, जिसमें क्रोमेटिन तथा न्यूक्लियोलस होता है।
• अन्य कोशिकांग (Organelles) – जैसे: माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम, गॉल्जीकाय आदि।
✅ निष्कर्ष: जीवद्रव्य = कोशिकाद्रव्य + केन्द्रकद्रव्य + अन्य कोशिकांग
📌 अतः सही उत्तर है: कोशिकाद्रव्य, केन्द्रकद्रव्य और अन्य कोशिकांग
प्रश्न: कोशिकीय व आण्विक जीव विज्ञान केंद्र कहाँ स्थित है?
उत्तर: हैदराबाद
🔍 व्याख्या:
कोशिकीय एवं आण्विक जीवविज्ञान केंद्र (Centre for Cellular and Molecular Biology – CCMB) भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है जो उन्नत जैविक अनुसंधान, विशेषकर कोशिका और आणविक स्तर पर, करता है।
• यह केंद्र हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है।
• इसकी स्थापना वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन की गई थी।
• यह DNA फिंगरप्रिंटिंग, जीनोमिक्स, स्टेम सेल अनुसंधान आदि क्षेत्रों में कार्य करता है।
✅ निष्कर्ष: परीक्षा दृष्टि से, “कोशिकीय व आण्विक जीव विज्ञान केंद्र” से CCMB ही अभिप्रेत होता है।
📌 अतः सही उत्तर है: हैदराबाद
कोशिकीय एवं आण्विक जीवविज्ञान केंद्र (Centre for Cellular and Molecular Biology – CCMB) भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है जो उन्नत जैविक अनुसंधान, विशेषकर कोशिका और आणविक स्तर पर, करता है।
• यह केंद्र हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है।
• इसकी स्थापना वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन की गई थी।
• यह DNA फिंगरप्रिंटिंग, जीनोमिक्स, स्टेम सेल अनुसंधान आदि क्षेत्रों में कार्य करता है।
✅ निष्कर्ष: परीक्षा दृष्टि से, “कोशिकीय व आण्विक जीव विज्ञान केंद्र” से CCMB ही अभिप्रेत होता है।
📌 अतः सही उत्तर है: हैदराबाद
प्रश्न: निम्नलिखित में सबसे छोटी कोशिका कौन-सी है?
उत्तर: माइकोप्लाज्मा
🔍 व्याख्या:
माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) पृथ्वी पर ज्ञात सबसे छोटी स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिका है।
⚙️ मुख्य विशेषताएँ:
• आकार: लगभग 0.1 माइक्रोन
• कोई कोशिका भित्ति नहीं होती (इसलिए पेनिसिलिन जैसे एंटीबायोटिक उस पर असर नहीं करते)
• यह प्रोकैरियोटिक होता है
• यह भी हो सकता है
📊 अन्य विकल्पों की तुलना:
• B. अमीबा: लगभग 500–1000 माइक्रोन (बहुत बड़ा)
• C. श्वेत रक्त कणिका (WBC): 12–17 माइक्रोन
• D. लाल रक्त कणिका (RBC): 6–8 माइक्रोन
✅ निष्कर्ष: सबसे छोटी कोशिका है — माइकोप्लाज्मा
माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) पृथ्वी पर ज्ञात सबसे छोटी स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिका है।
⚙️ मुख्य विशेषताएँ:
• आकार: लगभग 0.1 माइक्रोन
• कोई कोशिका भित्ति नहीं होती (इसलिए पेनिसिलिन जैसे एंटीबायोटिक उस पर असर नहीं करते)
• यह प्रोकैरियोटिक होता है
• यह भी हो सकता है
📊 अन्य विकल्पों की तुलना:
• B. अमीबा: लगभग 500–1000 माइक्रोन (बहुत बड़ा)
• C. श्वेत रक्त कणिका (WBC): 12–17 माइक्रोन
• D. लाल रक्त कणिका (RBC): 6–8 माइक्रोन
✅ निष्कर्ष: सबसे छोटी कोशिका है — माइकोप्लाज्मा
प्रश्न: निम्नलिखित कोशिका अंगकों में से कौन-सा एक अर्द्धपारगमय है?
उत्तर: कोशिका झिल्ली
🔍 व्याख्या:
कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) एक अर्द्धपारगमय झिल्ली (Semipermeable membrane) होती है।
✅ यह केवल कुछ विशेष अणुओं को अंदर या बाहर जाने देती है:
• जल, ऑक्सीजन, CO2 आदि छोटे अणु पार हो सकते हैं
• बड़े अणु और अनावश्यक पदार्थ नहीं जा सकते
⚙️ यह फॉस्फोलिपिड द्विपरत (phospholipid bilayer) और प्रोटीन से बनी होती है
• यह विकिरण (diffusion) और सक्रिय परिवहन (active transport) जैसी क्रियाओं में भाग लेती है
📌 अन्य विकल्पों की स्थिति:
• B. प्लाज्मा झिल्ली – यह कोशिका झिल्ली का ही दूसरा नाम है (✅ सही उत्तर माना जा सकता है)
• C. कोशिका भित्ति – पूर्ण पारगम्य होती है (सभी पदार्थों को जाने देती है)
• D. केन्द्रक – यह स्वयं झिल्ली से घिरा होता है लेकिन ‘अर्द्धपारगमय’ नहीं कहा जाता
✅ निष्कर्ष: सही उत्तर है — कोशिका झिल्ली
कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) एक अर्द्धपारगमय झिल्ली (Semipermeable membrane) होती है।
✅ यह केवल कुछ विशेष अणुओं को अंदर या बाहर जाने देती है:
• जल, ऑक्सीजन, CO2 आदि छोटे अणु पार हो सकते हैं
• बड़े अणु और अनावश्यक पदार्थ नहीं जा सकते
⚙️ यह फॉस्फोलिपिड द्विपरत (phospholipid bilayer) और प्रोटीन से बनी होती है
• यह विकिरण (diffusion) और सक्रिय परिवहन (active transport) जैसी क्रियाओं में भाग लेती है
📌 अन्य विकल्पों की स्थिति:
• B. प्लाज्मा झिल्ली – यह कोशिका झिल्ली का ही दूसरा नाम है (✅ सही उत्तर माना जा सकता है)
• C. कोशिका भित्ति – पूर्ण पारगम्य होती है (सभी पदार्थों को जाने देती है)
• D. केन्द्रक – यह स्वयं झिल्ली से घिरा होता है लेकिन ‘अर्द्धपारगमय’ नहीं कहा जाता
✅ निष्कर्ष: सही उत्तर है — कोशिका झिल्ली
प्रश्न: निम्नलिखित पोषकों में से कौन-सा एक पौधों की कोशिका भित्ति का एक संरचनात्मक घटक है?
उत्तर: कैल्शियम
🔍 व्याख्या:
✅ कैल्शियम (Calcium) पौधों की कोशिका भित्ति का एक आवश्यक संरचनात्मक घटक है।
• यह पेक्टिन के साथ मिलकर कैल्शियम पेक्टेट (Calcium Pectate) बनाता है
• यह मध्य पट (Middle lamella) को सुदृढ़ करता है और कोशिकाओं को आपस में जोड़कर रखता है
• इससे कोशिका भित्ति को मजबूती और स्थायित्व मिलता है
🧪 अन्य विकल्प:
• A. मैगनीज – प्रकाश संश्लेषण में सहायक, लेकिन कोशिका भित्ति से नहीं जुड़ा ❌
• B. पोटेशियम की कमी – यह एक स्थिति है, पोषक नहीं ❌
• C. फास्फोरस – ऊर्जा स्थानांतरण (ATP), DNA/RNA निर्माण में भूमिका, पर भित्ति में नहीं ❌
✅ निष्कर्ष: कोशिका भित्ति का संरचनात्मक घटक — कैल्शियम
✅ कैल्शियम (Calcium) पौधों की कोशिका भित्ति का एक आवश्यक संरचनात्मक घटक है।
• यह पेक्टिन के साथ मिलकर कैल्शियम पेक्टेट (Calcium Pectate) बनाता है
• यह मध्य पट (Middle lamella) को सुदृढ़ करता है और कोशिकाओं को आपस में जोड़कर रखता है
• इससे कोशिका भित्ति को मजबूती और स्थायित्व मिलता है
🧪 अन्य विकल्प:
• A. मैगनीज – प्रकाश संश्लेषण में सहायक, लेकिन कोशिका भित्ति से नहीं जुड़ा ❌
• B. पोटेशियम की कमी – यह एक स्थिति है, पोषक नहीं ❌
• C. फास्फोरस – ऊर्जा स्थानांतरण (ATP), DNA/RNA निर्माण में भूमिका, पर भित्ति में नहीं ❌
✅ निष्कर्ष: कोशिका भित्ति का संरचनात्मक घटक — कैल्शियम
प्रश्न: न्यूक्लियस के बाहर DNA कहाँ पाया जाता है?
उत्तर: माइटोकॉन्ड्रिया
🔍 व्याख्या:
✅ माइटोकॉन्ड्रिया वह कोशिकांग है जिसमें न्यूक्लियस (केंद्रक) के बाहर भी DNA पाया जाता है। इसे माइटोकॉन्ड्रियल DNA कहते हैं।
🧬 विशेषताएँ:
• गोलाकार (Circular) DNA होता है, बैक्टीरिया जैसा
• स्वतः प्रोटीन बना सकता है
• मातृ पक्ष से संतानों में जाता है (Mitochondrial inheritance)
❌ अन्य विकल्प:
• A. गोल्जीकाय – प्रोटीन पैकेज करता है, DNA नहीं होता
• B. राइबोसोम – RNA आधारित संरचना, DNA नहीं होता
• D. अंतद्रव्यी जालिका – वसा और प्रोटीन संश्लेषण करता है, DNA नहीं
✅ निष्कर्ष: न्यूक्लियस के बाहर DNA पाया जाता है — माइटोकॉन्ड्रिया
✅ माइटोकॉन्ड्रिया वह कोशिकांग है जिसमें न्यूक्लियस (केंद्रक) के बाहर भी DNA पाया जाता है। इसे माइटोकॉन्ड्रियल DNA कहते हैं।
🧬 विशेषताएँ:
• गोलाकार (Circular) DNA होता है, बैक्टीरिया जैसा
• स्वतः प्रोटीन बना सकता है
• मातृ पक्ष से संतानों में जाता है (Mitochondrial inheritance)
❌ अन्य विकल्प:
• A. गोल्जीकाय – प्रोटीन पैकेज करता है, DNA नहीं होता
• B. राइबोसोम – RNA आधारित संरचना, DNA नहीं होता
• D. अंतद्रव्यी जालिका – वसा और प्रोटीन संश्लेषण करता है, DNA नहीं
✅ निष्कर्ष: न्यूक्लियस के बाहर DNA पाया जाता है — माइटोकॉन्ड्रिया
प्रश्न: ‘सेल’ (Cell) नाम किस जीव वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम दिया था?
उत्तर: रॉबर्ट हुक
🔍 व्याख्या:
✅ रॉबर्ट हुक ने वर्ष 1665 में कॉर्क की एक पतली स्लाइस को सूक्ष्मदर्शी से देखा और उसमें छोटे-छोटे खाने (छत्ते जैसे) देखे जिन्हें उन्होंने “Cell” कहा।
📘 महत्वपूर्ण तथ्य:
• देखी गई कोशिकाएँ मृत थीं
• “Cell” शब्द लैटिन के “Cellula” से आया है – अर्थ: “छोटा कमरा”
❌ अन्य विकल्प:
• A. फ्लेमिंग – पेनिसिलिन की खोज
• B. ल्युवेनहॉक – पहली बार जीवित कोशिकाएँ देखीं
• D. ब्राउन – केन्द्रक (Nucleus) की खोज (1831)
✅ निष्कर्ष: ‘सेल’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया – रॉबर्ट हुक
✅ रॉबर्ट हुक ने वर्ष 1665 में कॉर्क की एक पतली स्लाइस को सूक्ष्मदर्शी से देखा और उसमें छोटे-छोटे खाने (छत्ते जैसे) देखे जिन्हें उन्होंने “Cell” कहा।
📘 महत्वपूर्ण तथ्य:
• देखी गई कोशिकाएँ मृत थीं
• “Cell” शब्द लैटिन के “Cellula” से आया है – अर्थ: “छोटा कमरा”
❌ अन्य विकल्प:
• A. फ्लेमिंग – पेनिसिलिन की खोज
• B. ल्युवेनहॉक – पहली बार जीवित कोशिकाएँ देखीं
• D. ब्राउन – केन्द्रक (Nucleus) की खोज (1831)
✅ निष्कर्ष: ‘सेल’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया – रॉबर्ट हुक
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